रांचीः झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार मसानजोर बांध के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की मनमानी रोकने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. पोद्दार ने भारत सरकार के जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मसानजोर बांध से जुड़े समझौते के उल्लंघन की शिकायत की है. विवाद के निपटारे के लिए सदन की समिति गठित कर समझौते की समीक्षा का आग्रह किया है. इससे पहले पोद्दार राज्यसभा में शून्यकाल के तहत ये मामला उठा चुके हैं.
दस बिंदुओं पर हुआ था करार, एक पर भी नहीं हुआ अमल
जलशक्ति मंत्री को लिखे गए पत्र में पोद्दार ने कहा कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारा पर पहला समझौता हुआ था. करार दस बिंदुओं पर हुआ था. लेकिन बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गयी. करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81 हजार हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की और पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था. समझौता के अनुसार निर्माण, मरम्मत और विस्थापन का पूरा खर्च बंगाल सरकार को उठाना है. इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी.
डैम से हमेशा तय मात्रा से ज्यादा पानी लेता है बंगाल
मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था. जिसके बाद से बंगाल सरकार की तरफ से इस करार की कोई शर्त पूरी नहीं की गयी. इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नून बिल के जल बंटवारा को भी शामिल किया गया. इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आए, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था. जिससे झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित ना हो. बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था.