रांची/चाईबासा: तारीख 11 अगस्त 2023, दिन शुक्रवार. चाईबासा के टोंटो थानाक्षेत्र के घने जंगल में एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा का बंकर मिलने से सीआरपीएफ और पुलिस के जवान बेहद उत्साहित थे. एसपी आशुतोष शेखर ने बंकर में मौजूद सामान को जब्त कर वापस लाने का फैसला लिया. इसके लिए सीआरपीएफ 60 बटालियन और पुलिस बल के साथ ऑपरेशन शुरू हुआ. जब्त सामान वापस लाने के लिए एक ट्रैक्टर को ले जाया जा रहा था. ट्रैक्टर देखते ही मिसिर बेसरा का दस्ता समझ गया कि फोर्स क्या करने आ रही है.
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माओवादियों ने लगा रखा था एंबुस: इसके बाद जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था. रांची के मेडिका में इलाजरत सीआरपीएफ के घायल जवान मुन्ना लाल यादव ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से पूरे घटनाक्रम की जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि माओवादी समझ गये थे कि फोर्स जंगल में क्यों घुस रही है. फोर्स को रोकने के लिए माओवादियों ने एंबुस लगा दिया. सुरक्षाबल के जवान इससे बेखबर थे. सावधानी के तौर पर सीआरपीएफ के बम निरोधक दस्ते को सबसे आगे रखा गया था ताकि लैंड माइंस मिलने पर डिफ्यूज किया जा सके. लेकिन घने जंगल में आगे बढ़ते ही माओवादियों ने एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी. हवलदार सुशांत कुमार खुंटिया को चंद सेकेंड के भीतर कई गोलियां लग गई. वह गिर पड़े. उनसे महज 10 मीटर की दूरी पर चल रहे जवान मुन्ना लाल यादव जबतक मोर्चा संभाल पाते, तबतक उनके पैर में भी गोली लग गई.
आधे घंटे तक खून में लथपथ पड़े रहे सुशांत: जवान मुन्ना लाल यादव ने बताया कि माओवादियों की ओर से फायरिंग होते ही सुरक्षा बल और पुलिस ने भी जवाबी हमला बोल दिया. जख्मी हालत में उन्होंने भी जवाबी फायरिंग की. करीब आधे घंटे तक पूरा जंगल गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता रहा. उनकी आंखों के सामने हवलदार सुशांत गिरे हुए थे. उनको निकालने का मौका नहीं मिला. खून तेजी से बह रहा था. जैसे ही एहसास हुआ कि माओवादी भाग गये हैं तो अन्य जवानों ने खून से लथपथ हवलदार सुशांत को उठाया. एक गोली उनके हाथ को चिरते हुए सीने में समा गई थी. कई गोलियां जांघ में लगीं थी.