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आधे घंटे तक खून में लथपथ पड़े रहे सारंडा को क्लीन IED करने वाले सुशांत, पढ़िए चाईबासा मुठभेड़ की पूरी कहानी घायल जवान की जुबानी - चाईबासा मुठभेड़ में सुशांत कुमार शहीद

चाईबासा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सारंडा को आईईडी से क्लीन करने वाले सुशांत कुमार शहीद हो गए. नक्सलियों की ओर से फायरिंग शुरू होने के बाद कैसे चली आधे घंटे तक मुठभेड़, 11 अगस्त को सारंडा जंगल में क्या-क्या हुआ, पूरी कहानी पढ़िए मुठभेड़ में घायल जवान मुन्ना लाल यादव की जुबानी.

Sushant Kumar martyred in Chaibasa encounter
Sushant Kumar martyred in Chaibasa encounter

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Published : Aug 14, 2023, 5:31 PM IST

रांची/चाईबासा: तारीख 11 अगस्त 2023, दिन शुक्रवार. चाईबासा के टोंटो थानाक्षेत्र के घने जंगल में एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा का बंकर मिलने से सीआरपीएफ और पुलिस के जवान बेहद उत्साहित थे. एसपी आशुतोष शेखर ने बंकर में मौजूद सामान को जब्त कर वापस लाने का फैसला लिया. इसके लिए सीआरपीएफ 60 बटालियन और पुलिस बल के साथ ऑपरेशन शुरू हुआ. जब्त सामान वापस लाने के लिए एक ट्रैक्टर को ले जाया जा रहा था. ट्रैक्टर देखते ही मिसिर बेसरा का दस्ता समझ गया कि फोर्स क्या करने आ रही है.

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माओवादियों ने लगा रखा था एंबुस: इसके बाद जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था. रांची के मेडिका में इलाजरत सीआरपीएफ के घायल जवान मुन्ना लाल यादव ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से पूरे घटनाक्रम की जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि माओवादी समझ गये थे कि फोर्स जंगल में क्यों घुस रही है. फोर्स को रोकने के लिए माओवादियों ने एंबुस लगा दिया. सुरक्षाबल के जवान इससे बेखबर थे. सावधानी के तौर पर सीआरपीएफ के बम निरोधक दस्ते को सबसे आगे रखा गया था ताकि लैंड माइंस मिलने पर डिफ्यूज किया जा सके. लेकिन घने जंगल में आगे बढ़ते ही माओवादियों ने एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी. हवलदार सुशांत कुमार खुंटिया को चंद सेकेंड के भीतर कई गोलियां लग गई. वह गिर पड़े. उनसे महज 10 मीटर की दूरी पर चल रहे जवान मुन्ना लाल यादव जबतक मोर्चा संभाल पाते, तबतक उनके पैर में भी गोली लग गई.

आधे घंटे तक खून में लथपथ पड़े रहे सुशांत: जवान मुन्ना लाल यादव ने बताया कि माओवादियों की ओर से फायरिंग होते ही सुरक्षा बल और पुलिस ने भी जवाबी हमला बोल दिया. जख्मी हालत में उन्होंने भी जवाबी फायरिंग की. करीब आधे घंटे तक पूरा जंगल गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता रहा. उनकी आंखों के सामने हवलदार सुशांत गिरे हुए थे. उनको निकालने का मौका नहीं मिला. खून तेजी से बह रहा था. जैसे ही एहसास हुआ कि माओवादी भाग गये हैं तो अन्य जवानों ने खून से लथपथ हवलदार सुशांत को उठाया. एक गोली उनके हाथ को चिरते हुए सीने में समा गई थी. कई गोलियां जांघ में लगीं थी.

किस्मत ने एसपी आशुतोष का दिया साथ: जवान मुन्ना लाल यादव बनारस के रहने वाले हैं. उनके पैर को चिरते हुए एके-47 की गोली निकली थी. अब वह ठीक हैं. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन शुरू हुआ तो एसपी आशुतोष शेखर सबसे आगे चल रहे थे. संयोग से कुछ दूरी सफर करने के बाद हमारी टीम को आगे कर दिया गया क्योंकि लैंड माइंस का खतरा था. अगर बदलाव नहीं किया गया होता तो शायद सुशांत की जगह एसपी साहब एंबुस में फंस गये होते. तकदीर ने उनका साथ दिया.

बिखर गया शहीद सुशांत का परिवार: मेडिका में इलाजरत जवान मुन्ना लाल यादव की पत्नी ने कहा कि आप पत्रकार हैं तो सुशांत सर के परिवार के लिए कुछ करवाइये. मैंने कहा कि सरकार शहीद के परिवार का ख्याल रखती है. आप चिंता ना करें. तब उन्होंने सुशांत के घर की जो कहानी बताई, उसे सुनकर दिल बैठ गया. जांबाज मुन्ना लाल यादव ने बताया कि सुशांत जी ओड़िशा के क्योंझर के रहने वाले थे. बेहद सरल इंसान थे. उनके पिता का निधन हो चुका है. दो भाई थे, जिनमें से एक की मौत इसी साल फरवरी में हो गई थी. एक भाई का निधन पहले ही हो चुका है. दोनों भाभियां विधवा हैं. पूरे परिवार की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी. कुछ माह पहले ही सुशांत सर की शादी हुई थी. उनकी पत्नी दो माह की गर्भवती थीं. उनका पूरा परिवार बिखर गया है. इस परिवार को विशेष केयर की जरूरत है. यह कहते हुए उनकी आंखें नम हो गईं.

सीआरपीएफ और पुलिस के ज्वाइंट एक्शन का असर दिख रहा है. नक्सली सिमटते जा रहे हैं. बूढ़ापहाड़ से उखड़ने के बाद एक करोड़ के इनामी माओवादी मिसिर बेसरा ने पश्चिमी सिंहभूम के जंगलों में डेरा डाल रखा है. जंगल की आड़ में दस्ते को संगठित करने में जुटा है. छोटे छोटे दस्ते बनाकर सुरक्षा बलों को रोकने में जुटा है. इधर सुरक्षा बल और पुलिस के जवान लगातार ज्वाइंट ऑपरेशन चला रहे हैं. आए दिन आईडी धमाके और मुठभेड़ हो रहे हैं. लेकिन 11 अगस्त को कुछ और होना था. मुन्ना लाल यादव ने कहा कि हमारा हौसला पस्त नहीं हुआ है. ठीक होते ही मैं फिर मैदान में उतरूंगा. सुशांत सर की शहादत का बदला लेकर रहूंगा.

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