रांचीः राजधानी रांची में कांके विधानसभा के कांके प्रखंड के जयपुर पंचायत के दर्जनों गांव जन सुविधाओं का मुद्दा राजनीतिक चुनावी मुद्दे के बिछड़ गया है. विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ग्रामीणों को विकास से जुड़ने के लिए पक्की सड़क का सपना दिखाया था. उन सपनों को अब तक साकार नहीं किया जा सका है. आलम यह है कि मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद दर्जनों गांव के ग्रामीण विकास से दूर हो गए हैं.
चुनावी मुद्दा ही बनकर रह गया पुल
साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी चुनावी लाभ लेने के लिए ग्रामीणों से पुल बनाने का वादा किया था, जिसका ग्रामीणों ने सहयोग दिया, लोगों का जनसमर्थन हासिल करने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने पुल का निर्माण कार्य तो शुरू किया. फिर उसे आधा-अधूरा ही छोड़ दिया गया. जिससे ग्रामीणों का सीधा संपर्क शहर से टूट गया. पिछले 1 साल से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की ग्राम जान हथेली में रखकर जर्जर सड़क से आवागमन करने को मजबूर है. यह मुख्य सड़क है जो कई गांव को शहर से जोड़ती है. कई दशकों से यहां पोल और पक्की सड़क थी, जिससे आवागमन करने में ग्रामीणों को कोई परेशानी नहीं हो रही थी. बावजूद पुराना पुल तोड़कर करोड़ों की लागत से नई पुलिया का निर्माण कार्य शुरू किया था, जो राजनीति की भेंट चढ़ गया है.
लोगों ने खुद से बनाया काम चलाऊ सड़क
सड़क स्थानीय लोगों ने खुद के अंशदान और श्रमदान से काम चलाऊ सड़क बनाई है जो आज जर्जर हालत में है. ग्रामीण जान हथेली में रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं. जिसकी वजह से आए दिन घटना दुर्घटना घटती रहती है. ग्रामीणों की परेशानी उस वक्त 2 गुना बढ़ जाती है, जब किसी मरीज को अस्पताल ले जाना होता है. पर अब तक इसके जिम्मेदार विभाग और ना जनप्रतिनिधि कोई ठोस पहल नहीं कर रही है, इससे ग्रामीणों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.