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Published : Mar 25, 2021, 2:57 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 8:02 PM IST

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असाध्य बीमारियों से आज भी लड़ रहे शौर्य जैसे कई मासूम, 31 मार्च तक सरकार को पॉलिसी बनाने के निर्देश

रांची में 9 साल का मासूम जिंदगी के लिए जंग लड़ रहा है. शौर्य सिंह नाम के इस मासूम को हंटर सिंड्रोम बीमारी है, जिसका इलाज भारत में नहीं है. पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद केंद्र को असाध्य रोगों से ग्रसित बच्चों के लिए पॉलिसी बनाने के आदेश दिए गए. दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को 31 मार्च तक अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है.

9 year old shaurya suffering from incurable disease in ranchi
रांची में हंटर सिंड्रोम एमपीएस-2 नाम की बीमारी से ग्रसित है शौर्य

रांची: पुनदाग इलाके में रहने वाला 9 साल का शौर्य सिंह हंटर सिंड्रोम एमपीएस-2 नाम की बीमारी से ग्रसित है. बता दें कि ये बीमारी रेयरस्ट ऑफ द रेयर डिजीज में आती है, जिसके इलाज में सालाना दो से तीन करोड़ रुपए का खर्च आता है. शौर्य सिंह को ये बीमारी ढाई साल से है. शौर्य के पिता बच्चे के इलाज के लिए दर-दर भटक चुके हैं. केवल अमेरिका जैसे विकसित देश में इसकी दवाई उपलब्ध है. लेकिन इस दवाई की कीमत इतनी ज्यादा है कि किसी भी आम आदमी के लिए उसे खरीदना नामुमकिन है. इसके एक फाइल का दाम एक लाख 60 हज़ार बताया गयाल है और पूरे महीने के दवाई की बात करें, तो इसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपए तक पहुंच जाती है. वहीं अगर पूरे साल की बात करें, तो कुल ढाई करोड़ रुपए का खर्च आएगा.

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पिता ने मदद के लिए झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें लिखा था कि क्या उनके बच्चे को जीने का अधिकार नहीं है? हाई कोर्ट में पिटीशन दायर करते हुए पिता ने ये मांग की कि आर्टिकल 21 के तहत उनके बच्चे को मेडिकल सुविधा मुहैया कराई जाए. इसपर हाईकोर्ट ने विचार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया की असाध्य रोग से ग्रसित शौर्य सिंह के इलाज में राज्य सरकार आर्थिक मदद करे.

पिता ने खटखटाया 'सुप्रीम' दरवाजा

कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य सरकार इलाज के खर्चे को देखते हुए पीछे हट गई. अब परेशान पिता ने सरकार से आर्थिक मदद मांगने के लिए हाई कोर्ट में कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज कराया, लेकिन उस पर भी कुछ विशेष कार्यवाही नहीं हो पाई. तब शौर्य के पिता सौरव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आगामी 31 मार्च तक रेयर डिजीज से ग्रसित बच्चों के लिए भारत सरकार पॉलिसी बनाए जिसके तहत सभी बच्चों का इलाज हो सके. अपने बच्चे को बचाने के लिए सौरव सिंह के जज्बे और जुनून को देखकर देश के कई लोगों ने अपनी आवाज बुलंद की, जिनके बच्चे रेयर डिजीज से ग्रसित थे. अदालत ने सरकार को 19 अप्रैल को इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले जुलाई 2017 में नेशनल पॉलिसी फॉर ट्रीटमेंट ऑफ रेयर डिजीज जारी की थी लेकिन उसमें फंडिंग आदि की स्पष्टता नहीं थी. इसके बाद नवंबर 2018 में सरकार ने इस पर पुनर्विचार के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर दिया था.

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पिता ने रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन नाम की संस्था खोली

रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन की शुरुआत

अपने बेटे के इलाज के लिए दिल्ली वेल्लोर और देश के कई बड़े-बड़े डॉक्टरों और दवाई कंपनियों से बात करते-करते पिता ने असाध्य रोग से ग्रसित बच्चों के कल्याण के लिए रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन नाम की संस्था खोली, जिसके अंतर्गत देशभर के ऐसे बच्चे जो असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं, उनके अभिभावक जुड़ने लगे.

शौर्य के शरीर में इडुयूरोनेट सल्फाटेज की कमी

शौर्य सिंह के पिता सौरव सिंह बताते हैं कि उनके बेटे के शरीर में एक एंजाइम की कमी है, जिसका नाम इडुयूरोनेट सल्फाटेज(Iduronate2 salfatase)है. बता दें कि इसके नहीं रहने से उसके शरीर के सभी जोड़ों पर सूजन हो जाती है और वो चलने-फिरने में भी असमर्थ हो जाता है.

हंटर सिंड्रोम की दवाई की कीमत करोड़ों में है

फिलहाल शौर्य का इलाज दिल्ली के एम्स के चिकित्सक की निगरानी में रांची के रानी अस्पताल में किया जा रहा है. शौर्य के इलाज के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष तरह की ट्रेनिंग दी गई है. वहीं, समय-समय पर दिल्ली के चिकित्सक के निर्देश पर शौर्य सिंह का मेडिकल चेकअप कर रहे डॉ. शैलेश बताते हैं कि इस बच्चे की बीमारी वाकई सबसे रेयर है और इसका इलाज भी भारत में नहीं है. लेकिन कोशिश जारी है कि जल्द बच्चे को इस बीमारी से छुटकारा मिले.

Last Updated : Mar 25, 2021, 8:02 PM IST

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