बीजेपी प्रवक्ता और मंत्री आलमगीर आलम का बयान रांची: राज्य में सूचना आयोग सहित आधा दर्जन से अधिक बोर्ड-निगम में पद लंबे समय से खाली पड़े हैं. अध्यक्ष से लेकर सदस्यों के खाली पड़े पदों पर नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष के नहीं होने की बातें अब तक सामने आ रही थी. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का चयन होने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि सूचना आयोग, लोकायुक्त जैसे पदों पर मनोनयन करने में सरकार द्वारा देर क्यों की जा रही है.
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राज्य सूचना आयोग के संबंध में हाईकोर्ट में चल रहे एक जनहित याचिका में सरकार द्वारा नेता प्रतिपक्ष नहीं होने का हवाला दिया गया था. सूचना आयुक्त, लोकायुक्त, महिला आयोग अध्यक्ष सहित अन्य पदों के लिए होने वाले मनोनयन के लिए निर्धारित चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष का होना आवश्यक है.
प्रमुख आयोग जहां लंबे समय से खाली हैं पद
- मुख्य सूचना आयुक्त से लेकर सूचना आयुक्त के पद
- लोकायुक्त
- महिला आयोग अध्यक्ष से लेकर सदस्य के पद
- राज्य खादी आयोग के अध्यक्ष
- राज्य माटी कला बोर्ड अध्यक्ष
- राज्य खनिज विकास निगम
- आयोग को लेकर सत्ता पक्ष-विपक्ष आमने सामने
आयोग को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने हैं. विपक्षी दल भाजपा ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि पहले तो सरकार नेता प्रतिपक्ष नहीं होने का बहाना बना रही थी. अब तो नेता प्रतिपक्ष भी हो गए तब क्यों देरी हो रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिंहा ने कहा है कि सीधे तौर पर यह सरकार की विफलता है, जिस वजह से आयोग में कामकाज बाधित है. हालांकि सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने आयोग में खाली पड़े विभिन्न पदों के मनोनयन में हो रही देरी के लिए त्यौहार को मुख्य वजह मानते हुए कहा है कि अब सब कुछ सामान्य हो रही है ऐसे में जल्द ही खाली पदों पर नियुक्तियां की जाएगी.
नियुक्तियां नहीं होने के पीछे वजह:पिछले 6 महीने के अंदर कई बोर्ड निगम में अध्यक्ष सहित सदस्यों के पद भरे गए हैं. मगर महत्वपूर्ण आयोग और बोर्ड निगम आज भी खाली पड़े हैं. जानकारी के मुताबिक सत्तारुढ़ दलों के बीच में समन्वय का अभाव सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. पूर्व में जो बोर्ड निगम में नियुक्तियां हुई है उसमें भी अंदरुनी विवाद हैं. चाहे वह 20सूत्री गठन हो या बोर्ड निगम. राजद इसको लेकर मुखर होती रही है. ऐसे में यह भरोसा दिया जाता रहा है कि आगे ध्यान रखा जाएगा. अब नेता प्रतिपक्ष का मनोनयन हो जाने के बाद एक बार फिर आयोग के खाली पदों पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.