रांची: चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती 2022 शनिवार को मनाई जाएगी. 16 अप्रैल शनिवार के दिन हनुमान जयंती पड़ने से यह खास है, क्योंकि शनिवार को ही भगवान शनि की भी पूजा की जाती है. पुजारियों का कहना है कि इस दिन भगवान हनुमान की पूजा से शनि देव की भी कृपा प्राप्त होगी. पुजारियों ने हनुमान जयंती पर बजरंगबली की पूजा-अर्चना के लिए खास विधि और मंत्र बताएं हैं, जिनके जाप से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होगी.
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रांची के पुजारी पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि हनुमानजी की प्रार्थना और पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन भक्तों को हनुमानजी की पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस दिन सुंदरकांड, बजरंग बाण, हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. इससे घर में सुख शांति आती है. विघ्न बाधा दूर होती है और न्यायालय कार्यों में उन्नति प्राप्त होती है.
रांची के पुजारी पंडित जितेंद्र महाराज ने हनुमान जयंती के लिए बताए मंत्र ऐसे करें पूजाःजितेंद्र महाराज ने बताया कि हनुमानजी की पूजा भगवान शिव की पूजा की तरह ही होती है क्योंकि यह एक आदर्श रूद्र अवतार हैं. पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि सभी भक्तों को अपनी क्षमता अनुसार भगवान की पूजा-अर्चना के प्रयास करने चाहिए. लेकिन हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की प्रतिमा पर जल, पुष्प, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, सिंदूर अवश्य लगाएं और उसके बाद नैवेद्य का भोग लगाकर फल, फूल, चना गुड़ को बजरंग बली की प्रतिमा पर चढ़ाएं. इस प्रकार पूजा करने से बजरंगबली अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जो भी कार्य हैं उसे पूर्ण करते हैं. पंडित जितेंद्र ने हनुमान जयंती पर पूजा के लिए इन मंत्रों का जाप करने की सलाह दी है. - ऊँ हं हनुमते रूद्रात्मिकाय हुं फट
- ऊँ नमो भगवते हनुमते नम:
पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि हिंदू और सनातन धर्म के अनुसार हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी को खुश करने से भगवान राम और माता सीता भी खुश होती हैं. क्योंकि हनुमान के हृदय में भगवान राम और माता सीता बसती हैं. वहीं शनिवार के दिन हनुमान जयंती पड़ने से भगवान शनि भी प्रसन्न होंगे.
हनुमान जयंती पर विशेष योगःपुजारियों के मुताबिक इस साल हनुमान जयंती के दिन रवि योग बन रहा है, जो सभी तरह के दोषों को दूर करने वाला है. इस बार रवि योग सुबह 05 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर सुबह 08 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में हनुमानजी की पूजा कल्याणकारी बताया जा रहा है.
हनुमान नाम की प्रचलित कहानीःपौराणिक कथाओं के मुताबिक त्रेतायुग में भगवान विष्णु के राम अवतार में उनके सहयोग के लिए भगवान शंकर ने संकट मोचन हनुमान ने अवतार लिया था. हनुमानजी जब छोटे थे तब एक दिन उनका ध्यान सूर्यदेव पर गया, उन्हें वह फल की तरह लगे तो खाने के लिए पहुंच गए. जैसे ही उन्होंने सूर्य देव को खाने के लिए अपना मुंह खोला इंद्रदेव ने मारुति पर वज्र प्रहार कर दिया और तब से ही मारुति का नाम हनुमान पड़ गया.
पूर्णिमा तिथि- चैत्र पूर्णिमा सुबह 2.26 से शुरू होगी.