रांची: 1960 और 70 के दशक में एशिया की मदर इंडस्ट्री एचईसी आज अंतिम पायदान पर पहुंच चुका है. एक वक्त में यहां पर काम करने वाले कर्मचारी अपना सौभाग्य मानते थे. लेकिन अब वेतन नहीं मिलने की वजह से ये कर्मचारी कंपनी छोड़ने को मजबूर हैं. सिर्फ कारखाना ही नहीं बल्कि एचईसी की स्थायी संपत्ति की भी लूट मची हुई है. यह हम नहीं बल्कि एचईसी के प्रबंधन खुद मान रहे हैं. क्योंकि एचईसी की जमीन पर अवैध निर्माण (encroachment of land in HEC area) है, जो अब एचईसी के लिए परेशानी का कारण बन गया है.
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अपनी जमीन को बचाने के लिए एचईसी प्रबंधन ने प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी को नियुक्त किया था और उन्हें हिदायत दी थी कि जहां भी अवैध तरीके से भवन बने हैं उन्हें जल्द से जल्द हटाया जाए. लेकिन प्राइवेट एजेंसी के लोगों ने भी अपने निजी फायदे के लिए एचईसी के वैसे जमीन को बेचने का काम किया जो वर्षों से खाली पड़े थे. जिसके बाद एचईसी प्रबंधन ने प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करते हुए काम से हटा दिया.
एचईसी के एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि एचईसी के पास शुरुआत में करीब सात हजार एकड़ जमीन थी. लेकिन आज एचईसी के पास करीब 1100 एकड़ जमीन बची है. हमने जब पड़ताल किया तो सेक्टर 2, सेक्टर 3, मामा नगर, पटेल नगर, पंचमुखी मंदिर के पीछे, डीएवी स्कूल के पास, जेपी मार्केट, टंकी साइड, डैम साइड सहित विभिन्न जगहों पर खाली जमीन पर लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं. अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रबंधन ने एचईसी के कर्मचारियों की एक टीम बनाई जो अवैध निर्माण होने वाले स्थलों का निरीक्षण करेंगे और वहां पर अवैध निर्माण को रोकने का काम करेंगे.