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महेंद्र सिंह धोनी किसे कहते हैं 'ईजा' ? क्यों चर्चा में है उनका फॉर्म हाउस, EXCLUSIVE VIDEO रिपोर्ट - Farming in Dhoni farm house

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी रांची के सेम्बो इलाके में स्थित फार्म हाउस 'ईजा' में इन दिनों खेती को लेकर खूब चर्चा में हैं. सोशल मीडिया पर धोनी के फार्म हाउस में खेती करते हुए तस्वीरें खूब चर्चा में रहती हैं. अक्सर अपने चौकाने वाले फैसलों के लिए मशहूर रहे महेंद्र सिंह धोनी 'लोकल फॉर वोकल ' के कॉन्सेप्ट के साथ इन दिनों खेती और मुर्गी पालन में जुट गए हैं.

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Published : Nov 13, 2020, 8:31 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 9:58 PM IST

रांचीःभारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी इन दिनों अपने फॉर्म हाउस की वजह से चर्चा में है. लॉकडाउन के वक्त तरबूज के पौधे लगाते और ट्रैक्टर चलाते उनकी वायरल तस्वीर से साफ हो गया था कि धोनी खेती-किसानी में इंटरेस्ट ले रहे हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि महेंद्र सिंह धोनी 42 एकड़ में अपना फॉर्म हाउस तैयार कर रहे हैं.

जानकारी देते ब्यूरो चीफ राजेश सिंह

यहां आलू, टमाटर, मटर, पपीता, धान, स्ट्रॉबेरी और गोभी की खेती हो रही है. आम और अमरुद के बागान तैयार किए जा रहे हैं. फार्म हाउस के एक हिस्से में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस डेयरी फॉर्म तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा झाबुआ के मशहूर कड़कनाथ मुर्गे की हेचरी तैयार की जा रही है. इन सब के पीछे महेंद्र सिंह धोनी का सिर्फ एक मकसद है. वह चाहते हैं कि इससे आसपास के युवा और किसानों को खेती के प्रति प्रेरणा मिले. शायद यही वजह है कि धोनी ने अपने फॉर्म हाउस का नाम ईजा फॉर्म्स रखा है. ईजा एक उत्तराखंडी शब्द है और उसका मतलब होता है 'मां'. रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रिंग रोड के पास सैंबो पंचायत स्थित धोनी के ईजा फॉर्म्स की खासियत से रूबरू करा रहे हैं, हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह.

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कोरोना काल में एक नारा चल पड़ा है 'लोकल फॉर वोकल' बनने का, लेकिन अक्सर अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए मशहूर रहे महेंद्र सिंह धोनी इस बात को काफी पहले समझ चुके थे. उन्होंने कोरोना काल में तरबूज की खेती कर दिखा दिया था कि खेत को मां की तरह पूजा करने पर फल जरूर मिलता है. तरबूज की फसल बेचने से मिले पैसे से ही ईजा फार्म में पॉली हाउस तैयार किया गया है. फिलहाल फॉर्म के एक हिस्से में कुछ गायें रखी गई हैं, जिनके गोबर का इस्तेमाल खेतों में होता है. अब अत्याधुनिक तरीके से डेयरी फॉर्म तैयार किया जा रहा है, जिसमें एक तरफ जर्सी गायें होंगी तो दूसरी तरफ साहिवाल और गिर नस्ल की.

Last Updated : Nov 13, 2020, 9:58 PM IST

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