रांची:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणास्वरुप देश-विदेश कई स्कूल-कॉलेजों की स्थापना की गई है. रांची के डोरंडा स्थित निवारनपुर में भी एक ऐसा ही स्कूल है, जिसके प्रेरणा स्रोत बापू रहे हैं. यह स्कूल है क्षितिज मूक-बधिर स्कूल, जिसकी स्थापना क्षितिज चंद्र बोस ने 1938 में की थी. बता दें कि इस स्कूल की स्थापना मूक-बधिर और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के उद्देश्य से की गई थी.
गांधी आए थे स्कूल की स्थापना के दिन
इस स्कूल के बारे में यह भी कहा जाता है कि स्कूल के उद्घाटन के मौके पर महात्मा गांधी खुद पहुंचे थे. हालांकि इसके ठोस प्रमाण नहीं हैं. लेकिन क्षितिज चंद्र बोस के कई लेख में यह जिक्र है कि महात्मा गांधी ही स्कूल खोलने के लिए उनकी प्रेरणा थे.
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स्कूल में नहीं मनाई गई गांधी की 150वीं जयंती
बता दें कि क्षितिज मूक-बधिर स्कूल में प्रत्येक वर्ष गांधीजी की याद में उनकी जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष यह आयोजन यहां नहीं हो पाया है. जो व्यक्ति इस स्कूल स्थापना का प्रेरणास्त्रोत बना, उसी व्यक्ति को बच्चे श्रद्धांजली देने तक से वंचित रह गए. इसका कारण बना सरकार का स्कूल के प्रति उदासीन रवैया.
8 महीने से नहीं मिला है वेतन
सरकार की उदासीनता के कारण इस स्कूल के शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. स्कूल में पैसे का आलम यह है कि लगभग 54 हजार रुपये मिड डे मील का बकाया राशि भी अब तक स्कूल को भुगतान नहीं किया गया है. दान के रुपयों से बच्चों का भरण-पोषण हो रहा है.
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डीएसई को किया जा रहा है गुमराह
इस मामले पर जब ईटीवी भारत ने स्कूल के प्रधानाध्यापक एके. लाल से बात की तो उन्होंने कहा कि डीएसई को इस मामले में गुमराह किया जा रहा है. 1938 से यह स्कूल चल रहा है. हर बार नए पदाधिकारी के आने के बाद वेतन को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है जबकि मुख्यमंत्री की अनुशंसा के बाद इसे सहायता प्राप्त स्कूल से आठवीं तक अपग्रेड करते हुए अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा दिया गया था. वहीं, कैबिनेट ने स्कूल के लिए 3 पद स्वीकृत किए गए थे लेकिन अब तक इस स्कूल का ना तो कायाकल्प हुआ और ना ही इस ओर किसी भी शिक्षा पदाधिकारी ने सही तरीके से ध्यान दिया. बहुत दुखद है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर स्कूल में वीरानी छाई है.