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रांची में सरस महोत्सव में महात्मा गांधी के चित्र की प्रदर्शनी, बापू की दुर्लभ तस्वीरें हैं खास - ईटीवी भारत न्यूज

रांची में राष्ट्रीय खादी और सरस महोत्सव में महात्मा गांधी के चित्र की प्रदर्शनी हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है (Saras Mahotsav in Ranchi). इसमें सबसे खास बापू की दुर्लभ तस्वीरें हैं.

Mahatma Gandhi portrait Exhibition at Saras Mahotsav in Ranchi
सरस महोत्सव में महात्मा गांधी के चित्र की प्रदर्शनी

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Published : Dec 30, 2022, 9:00 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 10:14 PM IST

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रांचीः राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में खादी ग्रामोद्योग और उद्योग विभाग द्वारा राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है (Saras Mahotsav in Ranchi). इस महोत्सव में देश के अलग अलग हिस्सों से खादी, लघु एवं कुटीर उद्योग तथा गांव की स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाये गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है. जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, इस मेले में आकर्षण के केंद्र में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी यादों को सहेजे गांधी संग्रहालय है, जहां बापू की दुर्लभ 1000 से अधिक चित्रों में से 100 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा चरखा से स्वाबलंबन की उनकी अवधारणा को भी जीवंत होते हुए मेले में दिखाया गया है (Bapu portrait Exhibition at Saras Mahotsav).

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अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा बापू को लेकर कहे महान शब्द भी हैं शामिलः इस संग्रहालय में अल्बर्ट आइंस्टीन के उस वाक्य को भी प्रदर्शित किया गया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि आने वाली पीढियां शायद ही इस बात पर यकीन करें की हाड़ मांस का एक व्यक्ति कभी इस धरती पर चला था.


तस्वीरों में झलकी बापू की जीवनीः गुजरात के पोरबंदर में 02 अक्टूबर 1869 में जन्में मोहनदास करमचंद गांधी ने जिस घर मे जन्म लिया, उस घर की तस्वीर से लेकर उनके बाल्यकाल, युवावस्था, विद्यार्थी के रूप में, बैरिस्टर के रूप में, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने से लेकर चंपारण क्रांति, दांडी मार्च, कांग्रेस के महाधिवेशन, जलियांवाला बाग की घटना के बाद की तस्वीरें मौजूद हैं (Mahatma Gandhi portrait Exhibition). इसके साथ ही पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना के साथ की तस्वीर, जवाहरलाल नेहरू को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करने के समय की तस्वीर, देश के एक और गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां जिन्हें सीमांत गांधी कहा जाता है उनके साथ की तस्वीरें शामिल हैं. इसके अलावा भारत विभाजन के समय दंगों को रोकने के लिए बापू के आमरण अनशन सहित कई तस्वीरें हैं, जो न सिर्फ दुर्लभ है बल्कि यह नई पीढ़ी को यह बताती है कि कैसे हाड़-मांस के एक इंसान ने अंग्रेजी सल्तनत को हिला दिया, जिसके बारे में उस समय कहा जाता था कि अंग्रेजों का सूर्य अभी अस्त नहीं होता था.

महात्मा गांधी की दुर्लभ तस्वीर

बापू की चित्र प्रदर्शनी में युवाओं का रूझानः रांची में आयोजित खादी एवं सरस मेला देखने आए लोगों के कदम बरबस ही इस गांधी संग्रहालय की ओर चल पड़ते हैं. सुकून की बात यह भी कि बड़ी संख्या में युवा भी बापू की जीवनी, उनके योगदान को जान और समझ रहे हैं. बापू का जीव जंतुओं से प्रेम, अस्पृश्यता के खिलाफ उनके चिंतन के बाद एक क्रांति और अनंत पडमेश्वर मंदिर में अस्पृश्यों का प्रवेश का अधिकार मिलने से जुड़ी तस्वीरें प्रदर्शित की गयी हैं. साथ ही गांधी जी द्वारा दलित उत्थान के लिए कोष एकत्रित करते हुए तस्वीर, सुभाषचंद बोस के साथ 1938 की तस्वीर, भारत जोड़ो प्रस्ताव से जुड़ी तस्वीर सभी तस्वीरें यह बताती है कि कैसे आजादी की लड़ाई में भले ही बहुत सारे नायकों का योगदान रहा हो लेकिन बापू के विचार और उनके योगदान सबसे खास और अलग रहा. साथ ही प्रेम भाईचारे और हर किसी से स्नेह, कुष्ठ रोगियों की सेवा सबकुछ इस चित्र प्रदर्शनी में देखने को मिल रहा है.

चरखा से सूत कातते बापू
Last Updated : Dec 30, 2022, 10:14 PM IST

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