रांची: राज्य सरकार की उदासीनता के कारण कई महिनों से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. संवैधानिक रुप से अतिमहत्वपूर्ण इस पद के खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप पड़ी हुई है.
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पद खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप है. कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी. उसके बाद लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के असामयिक निधन के कारण सुनवाई ठप हो गई. लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. नए लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता है.
नए लोकायुक्त का होगा मनोनयन
लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल फरवरी 2022 तक था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी असामयिक निधन 29 जून को दिल्ली एम्स में हो गया था. उनके असामयिक निधन के बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. लोकायुक्त के रिक्त पद को भरने के लिए राज्य सरकार को नए लोकायुक्त मनोनीत करना होगा. लोकायुक्त का मनोनयन पांच वर्षों के लिए होता है. जिसका चयन मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष के द्वारा की जाती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी को लोकायुक्त के रुप में पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. ऐसे में नए लोकायुक्त का मनोनयन होने तक स्वभाविक रूप से केसों की सुनवाई बाधित रहेगी.