रांची: केंद्र में भाजपा सरकार को हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए भले ही कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन यानी I.N.D.I.A के बैनर तले एकजुट होने का दावा कर रहे हैं. मगर सीटों को लेकर फंसा पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार के बाद झारखंड में भी I.N.D.I.A गठबंधन के अंदर सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है.
सीट बंटवारे को लेकर राजद के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के रुख से कांग्रेस के अंदर खलबली मची हुई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट रूप से राज्य की 14 में से 7 सीटों की मांग कर कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. जेएमएम ने दिल्ली की बैठक में दिए गए प्रस्ताव पर जल्द सहमति बनाने का दबाव कांग्रेस पर डालना शुरू कर दिया है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि जो जहां मजबूत है वहां चुनाव लड़ने की सैद्धांतिक बात बन गई है. इसी के तहत हम सात सीट की मांग कर रहे हैं. इधर राजद के बाद जेएमएम के कड़े रुख पर कांग्रेस नजर रख रही है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड में राहुल गांधी की न्याय यात्रा को देखते हुए प्रदेश इकाई को संयम से काम लेने की सलाह दी है.
राहुल गांधी की न्याय यात्रा के बहाने कांग्रेस झारखंड में अपनी जमीनी हकीकत का आकलन भी करने जा रही है. इसके बाद सीटों को लेकर सहयोगी दलों के साथ बातचीत करने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि गठबंधन के अंदर हर दल मांग रखते हैं यह उचित भी है. समय आने पर सीटों का भी बंटवारा हो जायेगा. हमलोग राज्य की सभी 14 सीटों पर चुनाव जीतने के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
तीन सीटों पर I.N.D.I.A गठबंधन में फंसा है पेंच:झारखंड मुक्ति मोर्चा जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक रहा है, उसमें दुमका, राजमहल, लोहरदगा, गिरीडीह, कोडरमा, पूर्वी सिंहभूम, प.सिंहभूम शामिल है. इन सीटों में लोहरदगा, प.सिंहभूम और कोडरमा को लेकर कांग्रेस झामुमो के बीच विवाद फंसा है. इसी तरह हजारीबाग सीट पर वाम मोर्चा का दावा है. जहां कांग्रेस भी चुनाव लड़ना चाहती है. चतरा में कांग्रेस और राजद दोनों की दावेदारी है. इसी तरह कोडरमा में राजद की भी दावेदारी पहले से है. इन सबके बीच जदयू भी झारखंड में कम से कम दो सीट की मांग कर रहा है. बहरहाल जिस तरह से I.N.D.I.A के अंदर सीटों को लेकर आपसी खींचतान देखी जा रही है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सबकुछ ऑल इज वेल नहीं है.