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झारखंड में भी साल 1997 जैसी 'कल्पना'

झारखंड की राजनीति इन दिनों नाजुक दौर से गुजर रही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से वार-पलटवार का सिलसिला भी तेज हो गया है. इस बीच राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं. राजनीतिक पंडितों की कल्पनाएं भी परवान चढ़ रहीं हैं.

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Published : May 8, 2022, 6:03 AM IST

Like Rabri Devi, Kalpana Soren can become CM in Jharkhand
Like Rabri Devi, Kalpana Soren can become CM in Jharkhand

रांची: सीएम हेमंत सोरेन पर लगे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोप को लेकर झारखंड की राजनीति बेहद ही नाजुक दौर से गुजर रही है. चुनाव आयोग से सीएम को मिले नोटिस पर सत्ता पक्ष की ओर से कुछ खुलकर तो नहीं बोला जा रहा है लेकिन विपक्षी दल बीजेपी पर जेएमएम और कांग्रेस के नेता हमलावर जरूर हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से वार-पलटवार का दौर भी जारी है.

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जेएमएम और बीजेपी के बीच चल रहे शह मात के खेल के बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं भी तरह-तरह की हो रहीं हैं. हेमंत के भविष्य का क्या होगा समेत राज्य की राजनीति के सभी विकल्पों पर भी जमकर बात हो रही है. राजनीतिक पंडित तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. इस बीच बिहार की राजनीति में जुलाई 1997 में घटी एक घटना का भी जिक्र किया जा रहा है.

कहा जा रहा है कि झारखंड में भी बिहार जैसा प्रयोग संभव है. झारखंड में भी राबड़ी देवी की तरह कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बन सकती हैं. दरअसल, हेमंत पर कार्रवाई होने के बाद जेएमएम के पास क्या-क्या विकल्प हैं इस पर चर्चा के दौरान सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन को सत्ता सौंपे जाने की भी अटकलें लग रहीं हैं. राजपाट पर नियंत्रण के लिहाज से कल्पना सोरेन का सीएम बनना सबसे बेहतर विकल्प के रूप में राजनीतिक पंडितों को नजर आ रहा है. लेकिन वह मूलरूप से ओडिशा की रहने वाली हैं. अब देखना होगा कि क्या वह झारखंड की किसी रिजर्व सीट से चुनाव लड़ने की योग्यता रखती हैं. लेकिन कल्पना सोरेन के नाम पर पार्टी की एकजुटता संदेहास्पद लग रही है. ऐसी स्थिति में हेमंत अपने पिता को चौथी बार मुख्यमंत्री बना सकते हैं. इससे गठबंधन की एकता बनी रह सकती है. क्योंकि पिछले कुछ दिनों से झामुमो के ही कुछ विधायक खतियान के आधार पर स्थानीयता और पेसा एक्ट को लेकर सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.

जब राबड़ी बनी थी बिहार की सीएम: 1996 में जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव पर चारा घोटाला का आरोप लगा था, तब बिहार की राजनीति में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी जैसी आज झारखंड में है. आरोपों को झेलते हुए लालू यादव ने महीनों सरकार चालाई, लेकिन जब सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी, तब लालू के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो गया था. उस समय बिहार की राजनीति में ये माना जाने लगा की लालू की राजनीति का अंत होने वाला है. लालू के बाद कौन बिहार की बागडोर संभालेगा, इसे लेकर जोर-शोर से चर्चा होने लगी. लेकिन लालू ने सभी को चौंकाते हुए राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया.

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