रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का मामला लंबित रहने पर विधानसभा सचिव से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब विपक्षी पार्टी द्वारा नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी विधायक का नाम प्रस्तावित किया गया है तो क्या स्पीकर इस मामले का निर्णय सिर्फ इस आधार पर पेंडिंग रख सकते हैं कि उस विधायक के खिलाफ दलबदल का मामला चल रहा है?
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कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि क्या हाईकोर्ट को यह शक्ति है कि वह विधानसभा के स्पीकर को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए निर्देश दे सकता है? झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान इन दोनों बिंदुओं पर विधानसभा और सरकार से जवाब देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को मुकर्रर की गई है.
दरअसल, झारखंड विधानसभा में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष के लिए बाबूलाल मरांडी का नाम प्रस्तावित किया था. लेकिन, उनके खिलाफ दलबदल की शिकायत के कारण स्पीकर ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया. हालांकि, स्पीकर के न्यायाधिकरण ने दलबदल से जुड़ी शिकायत पर सुनवाई पूरी कर ली है. लेकिन, फैसला सुरक्षित रखा है.
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहने की वजह से राज्य की एक कई संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है. इन पदों पर नियुक्ति के लिए निर्णय लेने वाली जो चयन समिति होती है, उसमें नेता प्रतिपक्ष भी सदस्य होते हैं. उनकी गैर मौजूदगी के कारण यह समिति डिफंक्ड है.
सूचना आयोग, महिला आयोग सहित करीब एक दर्जन संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्षों और सदस्यों के पद रिक्त रहने के कारण हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली बेंच में याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान झारखंड विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिक कुमार और प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह एवं अभय कुमार मिश्र ने पैरवी की.
इनपुट- आईएएनएस