रांचीःराज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रांची रिम्स (Ranchi RIMS) अपनी अव्यवस्था के कारण हमेशा ही चर्चा का विषय बना रहता है. रिम्स की बड़ी-बड़ी इमारतों में ना जाने कितने लापरवाही के आलम प्रतिदिन होते हैं. जिस पर लोगों की नजर पड़ती है और कभी नहीं भी पड़ती है.
इस बार भी कुछ ऐसा ही रांची रिम्स (Ranchi RIMS) में देखने को मिला. दरअसल रिम्स के सुपर स्पेश्लिटी ब्लॉक (Super Specialty Block) के पीछे लगभग सैकड़ों ऐसे बेड पड़े हैं, जो रिम्स परिसर में ही बाहर फेंक दिए गए हैं. ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम ने जब पड़ताल की तो इसमें कई ऐसे बेड (Bed) पाए गए जो बिल्कुल नए थे, लेकिन सभी अच्छे बेड भी बाहर रखे-रखे खराब हो रहे.
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बड़े पैमाने पर अन्य संसाधनों की खरीदारी
कोरोना मरीजों को सुविधा मुहैया कराने के लिए रांची रिम्स (Ranchi RIMS) के लगभग सभी विभागों में बेड (Bed) बदले जा रहे हैं. साथ ही बड़े पैमाने पर अन्य संसाधनों की भी खरीदारी की जा रही है लेकिन इस खरीदारी में कई ऐसे सामान है जो कि बिल्कुल नए हैं, फिर भी उन्हें बिना देखे समझे ही बदल दिया जा रहा.
जमीन पर हो रहा मरीजों का इलाज नए बेड लगाने के चक्कर में जो पुराने बेड अच्छे थे, उन्हें भी बाहर कर दिया गया और नए बेड भी अभी पूरी तरह से नहीं लग पाए है.
बेड पर मरीज का इलाज नहीं
ईटीवी भारत (ETV Bharat) के कैमरे में ऐसी तस्वीरें भी कैद हुईं जो सीधा रिम्स की लापरवाही को दर्शाता है. ऑन्कोलॉजी विभाग (Oncology Department) में नए बेड तो लगा दिए गए लेकिन उस बेड पर मरीज का इलाज नहीं हो रहा, बल्कि अस्पताल का सामान रखा है.
बाहर लावारिस पड़े अस्पताल के बेड यह तस्वीर सिर्फ रिम्स परिसर के एक जगह की नहीं बल्कि कई ऐसी जगह है, जहां पर रिम्स के संसाधन लापरवाही की वजह से खराब हो रहे है. वहीं रिम्स प्रबंधन नई चीजों को खरीदने की होड़ में जुटा है.
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जमीन पर लिटाकर इलाज
ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम ने जब पड़ताल की तो देखा कि रिम्स के कई विभागों में मरीज जमीन पर लेट कर अपना इलाज करवाने को मजबूर हैं लेकिन उन्हें बेड मुहैया नहीं हो पा रहे.
धनबाद के गोमो से आए मरीज के परिजन रवि चौरसिया बताते हैं कि पिछले कई दिनों तक डॉक्टरों से गुहार लगाने के बाद उन्हें बेड मुहैया हो पाया. वहीं कई ऐसे मरीज हैं जो अभी भी जमीन पर लेटकर इलाज कराने के लिए बेबस और लाचार हैं.
लाखों के बेड हो रहे कबाड़ रिम्स परिसर में बेड बर्बाद
वहीं डाल्टनगंज से अपने मरीज का इलाज कराने आईं सरिता देवी और अब्दुल वाजिद बताते हैं कि जिस तरह से रिम्स परिसर में बेड बर्बाद हो रहे हैं, इससे प्रतीत होता है कि रिम्स प्रबंधन अपने मरीजों के प्रति संवेदनशील नहीं है.
सरिता देवी बताती हैं कि बेड न रहने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बिना बेड के मरीज को जमीन से उठाने-बैठाने या शौच ले जाने में परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
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अस्थाई कोविड वार्ड में लगाया जाएगा पुराना बेड
वहीं बर्बाद हो रहे बेड को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा से बात की तो उन्होंने बताया कि एक संस्था की ओर से 500 बेड मुहैया कराए गए जिन्हें विभिन्न वार्डों में लगाया जा रहा. वहीं पुराने बेडों को जल्द से जल्द अस्थाई कोविड वार्ड में लगाया जाएगा. ताकि यदि संभावित तीसरी लहर आती है तो मरीजों को लाभ पहुंच सके.
रिम्स परिसर में कबाड़ की तरह बेड
ईटीवी भारत ने जब जनसंपर्क अधिकारी से पूछा कि अच्छे बेड को रिम्स परिसर में कबाड़ की तरह क्यों फेंक दिया गया. वह इस सवाल से बचते नजर आए. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि जल्द से जल्द सभी अच्छे बेडों को वार्ड में लगा दिया जाएगा ताकि जिस मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा है और वह जमीन पर इलाज कराने के लिए मजबूर है उन्हें लाभ मिल सके.
रिम्स में अनियमितता का दौर बरकरार
वहीं उन्होंने बेड की खरीदारी की बात को लेकर कुछ भी कहने से मना कर दिया लेकिन सवाल ये उठता है कि जब पूर्व से ही रिम्स में अच्छे बेड लगाए गए थे और फिलहाल उस बेड की स्थिति भी अच्छी थी तो नए बेड की खरीदारी क्यों की गई.
हालांकि इस सवाल पर प्रबंधन की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं दिए जाने से यह प्रतीत होता है कि रिम्स में अनियमितता का दौर लगातार बरकरार है.