लालू यादव को चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत मिल गई है. हालांकि फिलहाल वो जेल में ही रहेंगे. दुमका कोषागार मामले में उनकी सजा जारी है. इसलिए वो फिलहाल जेल में ही रहेंगे. उन्हें 2 लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली है.
झारखंड हाई कोर्ट से लालू यादव को राहत, चारा घोटाला के चाईबासा मामले में मिली जमानत
12:34 October 09
लालू यादव को चारा घोटाला के मिली बेल, लेकिन नहीं आएंगे जेल से बाहर
11:52 October 09
लालू यादव को चारा घोटाला के चाईबासा मामले में मिली जमानत
रांचीः चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को हाई कोर्ट से बड़ी खुशखबरी मिली है उन्हें हाईकोर्ट ने चाईबासा कोषागार मामले से अवैध निकासी के मामले में बेल दिया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने उनकी जेल की अवधि को देखते हुए यह माना कि उन्होंने अपने सजा की आधी सजा काट ली है. इसी आधार पर जमानत किया सुविधा उपलब्ध कराई है. फिलहाल उन्हें जेल में रहना होगा दुमका मामले में भी बेल नहीं मिला है. अदालत ने उन्हें जमानत के लिए दो लाख रुपया जमा करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि लालू प्रसाद को चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में 5 वर्ष की सजा दी गई है. वह इस सजा कि आधा सजा जेल में काट लिए हैं. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. इसलिए उन्हें जमानत दी जाए अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए जमानत की सुविधा उपलब्ध कराई है. वहीं सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध किया गया लेकिन अदालत ने उसे नहीं माना लालू प्रसाद को फिलहाल अभी जेल में रहना होगा. दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें सीबीआई की अदालत से 7 साल की सजा दी है. उस मामले में जमानत नहीं मिला है. इसलिए फिलहाल जेल में ही रहना होगा.
देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें पूर्व में ही जमानत दे दी गई है
लालू यादव को चाइबासा कोषागार मामले में दोषी करार दिया गया. चाईबासा कोषागार में 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रूपये की अवैध निकासी की गई थी. मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. मामले में कुल 736 आरोपी थे, जिसमें प्रमुखत: लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा का नाम शामिल था. मामले में 14 आरोपियों की केस चलने के दौरान मौत हो गई थी. तीन आरोपियों को दीपेश चांडक, आरके दास औऱ शैलेश प्रसाद सिंह सरकारी गवाह बना दिए गए.