रांची: राजधानी में गरीब लोगों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में तमाम सुविधाएं मुहैया करायी गई है. बावजूद यहां इलाज के लिए मरीजों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. अस्पताल के किसी भी डॉक्टर के चेंबर के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगी दिख जाएगी. ऐसे में इन मरीजों को इससे काफी परेशानी होती है. मरीजों की इस समस्या का अस्पताल प्रबंधन के पास भी कोई ठोस इलाज नहीं है. प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में मैन पॉवर के साथ ही डॉक्टरों की भारी कमी है, ऐसे में वे चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते.
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मरीजों का हाल: इस पूरे मामले की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रांची सदर अस्पताल पहुंची और लाइन में खड़े मरीजों से बात की. राजधानी के सदर अस्पताल में लाइन में लगे मजबूर मरीज बताते हैं कि पिछले 2 घंटे से वह अपने नंबर के इंतजार में हैं कि डॉक्टर उन्हें देख ले और वह स्वास्थ्य लाभ लेकर समय पर अपने घर जा सके. लेकिन घंटों तक इंतजार करने के बावजूद भी मरीज समय पर इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. राजधानी के किशोरगंज इलाके से आई एक महिला मरीज ने बताया कि उनके पैर में दर्द था और वह ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में दिखाने आई थी, वह सुबह से इंतजार कर रही है, इसके बावजूद भी उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. आखिरकार वह जमीन पर बैठकर इंतजार करने लगी, क्योंकि लाइन में खड़े लोगों को बैठने के लिए भी किसी चीज की सुविधा नहीं दी गयी है.
राजधानी के धुर्वा इलाके से अपने पैर का इलाज कराने आए मिंटू पासवान बताते हैं कि पिछले दिनों ही उनके पैर में मोटरसाइकिल से गिरने की वजह से चोट लगी थी. इस कारण उनके पैर में सूजन हो गया था. इसी को दिखाने वह डॉक्टर के पास पहुंचे हुए हैं, लेकिन घंटों तक इंतजार करने के बावजूद भी अभी तक उनका नंबर नहीं आ पाया है. यही स्थिति अर्पणा गुप्ता की भी देखी गई जो पिछले 4 घंटे से लाइन में खड़ी रही, तब जाकर उनका नंबर लग पाया.
डॉक्टरों की भारी कमी: लोगों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने जब जानकारी लेने की कोशिश की तो हमने देखा कि सभी विभागों में डॉक्टरों की कमी है. ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर मौजूद है, जो मरीजों का इलाज कर रहा है. ड्यूटी में तैनात डॉक्टरों ने कहा कि एक मरीज को देखने में कम से कम आधा घंटा का समय लगता है. ऐसे में यदि मरीजों की संख्या बढ़ती है तो स्वाभाविक है कि लोगों को इंतजार करना ही पड़ेगा. वहीं लाइन में खड़े लोगों ने कहा कि सिर्फ इलाज करवाने के लिए नहीं बल्कि बिलिंग काउंटर, जांच काउंटर, कहीं भी जाने पर लोगों को लाइन में लंबा इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि हर जगह स्टाफ की घोर कमी है.
'जल्द शुरू की जाएगी चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति': वहीं हमने जब मरीजों की परेशानी को लेकर सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिमलेश सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि जब से नया भवन बना है, तब से मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. नए भवन के इंतजाम को देखकर लोगों का झुकाव सदर अस्पताल की तरफ बढ़ रहा है, जो निश्चित रूप से सरकार और अस्पताल दोनों के लिए बेहतर है, लेकिन मरीजों की बढ़ रही संख्या मैन पॉवर की कमी को उजागर कर रही है. चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिमलेश सिंह ने बताया कि विभाग की तरफ से चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और उम्मीद है कि डॉक्टरों की नियुक्ति होने के बाद कहीं ना कहीं मरीजों को परेशानी से राहत मिल पाएगी.
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गौरतलब है कि राजधानी के गरीब मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल और रिम्स ही एकमात्र सहारा है. रिम्स अस्पताल में अत्यधिक भीड़ होने की वजह से राजधानी के निवासी सदर अस्पताल भी पहुंचते हैं, लेकिन यदि वहां पर भी उन्हें लंबी लाइन लगाना पड़ेगा और इलाज के लिए इंतजार करना पड़ेगा, तो ऐसे में गरीब मरीज कहां जाएंगे. जरूरत है कि सदर अस्पताल प्रबंधन मरीजों की सुविधा के लिए तत्कालीन बैठने और अन्य संसाधनों का इंतजाम करें, ताकि मैन पॉवर की कमी की वजह से होने वाली दिक्कतों से लोगों को थोड़ी बहुत ही सही मगर राहत मिल सके.