रांचीः शहर के लोगों के सिर पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है पर इसके प्रसार को रोकने के लिए सबसे जरूरी सफाई और सेनेटाइजेशन व्यवस्था ही यहां बहुत ठीक नहीं है. नगर निगम अभी तक राजधानी के सभी मोहल्लों में सीवर लाइन तक नहीं बिछा सका है. इसके अलावा सीवरेज के ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी भी नगर निगम के पास नहीं है. इससे यहां की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, जो वायरस के प्रकोप के खतरे को तो बढ़ा ही रहा है. दूसरी संक्रामक बीमारियों के लिए भी रास्ता खोल रहा है.
ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने शहर में सीवर लाइन बिछाने के लिए सोचा नहीं है पर योजनाएं अफसरों की लापरवाही की वजह से अब तक जमीन पर नहीं उतर पाईं. वर्ष 2015 से शहर के नौ वार्ड के लिए शुरू किया गया सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट अभी भी अधर में लटका है. अभी तक फेज एक के लक्ष्य के मुताबिक भी वार्डों में सीवर लाइन नहीं बिछाई जा सकी. 5 वर्षों बाद भी मात्र 37 प्रतिशत कार्य ही उसका पूरा हुआ है, जबकि इसके तहत एक एसटीपी भी बनना था. ऐसे में रांची में वर्तमान में घरों से निकलने वाला अपशिष्ट खुली नालियों में ही बह रहा है. यह परिस्थिति संक्रमण के खतरे को बढ़ाने वाली है.
सीवर लाइन के साथ चल रही पानी की लाइन
जानकारों की मानें तो जिन जगहों पर सीवर लाइन बिछ भी गई है, ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण व होने से सीवर लाइन को घरों से जोड़ा नहीं गया है. साथ ही वाटर सप्लाई की पाइप भी नालियों के साथ-साथ घरों तक पहुंची है, जो खतरनाक साबित हो सकता है.इस संबंध में मेयर आशा लकड़ा कहना है कि फिलहाल कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया जा रहा है, ताकि संक्रमण पर अंकुश लग सके.
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एहतियात बरतना जरूरी
रिम्स के डॉक्टर चंद्रभूषण का कहना है कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए गाइडलाइन का पालन जरूरी है. इसी के साथ साफ-सफाई व्यवस्था पर भी अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि अभी प्रशासन का ध्यान कोरोना से लड़ाई पर है, ऐसे में असावधानी से मच्छर जनित मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इनमें से कई की वजह पानी का एक जगह पर ठहरना है और नालियों के चोक होने से यह दिक्कत बढ़ जाती है.