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गठबंधन सरकार में तालमेल का दिख रहा अभाव, कागज पर सिमट कर रह गई संवैधानिक संस्थाएं!

झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम, कांग्रेस और राजद की सरकार है. बोर्ड निगम और आयोग में खाली पदों को भरने के लिए तीनों दलों के बीच समन्वय का अभाव साफ दिख रहा है. इस वजह से राज्य के अधिकांश जिलों में स्थित उपभोक्ता फोरम में कामकाज बाधित है.

Lack of coordination of coalition in Jharkhand government
गठबंधन सरकार में तालमेल का दिख रहा अभाव

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Published : Feb 24, 2021, 7:51 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 8:51 PM IST

रांची:हेमंत सरकार में बोर्ड निगम और कई आयोग भगवान भरोसे है चल रहा है. ये हम नहीं, बल्कि आयोग की बदहाल स्थिति को देखने के बाद पता चल जायेगा. किसी आयोग में अध्यक्ष नहीं हैं तो कहीं सदस्यों के पद लंबे समय से खाली है. राज्य सूचना आयोग से लेकर आयोग और बोर्ड निगम में कामकाज केवल कागजी खानापूर्ति के रूप में हो रहा है. सूचना आयोग में अपील की सुनवाई पूरी तरह ठप है. राज्य के अधिकांश जिलों में स्थित उपभोक्ता फोरम में कामकाज बाधित है.

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कौन-कौन से आयोग हैं खाली
राज्य सूचना आयोग
लॉ कमीशन
बाल संरक्षण आयोग
राज्य के 22 जिलों में स्थित उपभोक्ता फोरम
राज्य खादी बोर्ड
मानवाधिकार आयोग
महिला आयोग
आरआरडीए
विद्युत नियामक आयोग

क्यों नहीं हो पा रही है नियुक्ति
बोर्ड निगम और आयोग के खाली पदों पर मनोनयन राज्य सरकार की ओर से की जाती है. राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम, कांग्रेस और राजद की सरकार है. बोर्ड निगम और आयोग में खाली पदों को भरने के लिए तीनों दलों के बीच समन्वय का अभाव साफ दिख रहा है. पिछले दिनों रांची दौरे पर आये कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ हुई बैठक में भी बात नहीं हो पाई. तीनों दलों के बीच बोर्ड और निगम आयोग के साथ-साथ 20 सूत्री मांगों का भी गठन करने को लेकर कहीं न कहीं पेंच फंसा हुआ है.

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सत्तारूढ़ गठबंधन दलों में तालमेल के अभाव

इधर, प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन दलों में तालमेल के अभाव के कारण आयोग में सन्नाटा पसरा हुआ है. हालांकि, सरकार के मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए देरी की मुख्य वजह कोरोना को बताया है. उन्होंने दावा किया है कि जल्द ही बोर्ड निगम और आयोग में मनोनयन हो जाएगा. बहरहाल, कानूनी पेंचदगी और सत्तापक्ष में सामंजस्य अब तक नहीं बनने के कारण आयोग का दफ्तर सुना पड़ा है. ऐसे में आवश्यकता है संवैधानिक संस्थाओं को पुनर्जीवित करने की, जिससे यहां कामकाज एक बार से सामान्य हो सके.

Last Updated : Feb 24, 2021, 8:51 PM IST

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