रांचीः कुर्मी कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने की मांग को लेकर कुर्मी कुड़मी विकास मोर्चा ने एक बैठक आयोजित की. इस दौरान कुर्मी समाज की मांग का विरोध कर रहे आदिवासी सामाजिक संगठनों से आग्रह किया कि राजनीति से ग्रसित होकर विरोध न करें, सभी एक होकर राज्य को छठी अनुसूची का दर्जा दिलाने का काम करें.
जानकारी देते कुरमी कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार आदिवासी सामाजिक संगठनों ने किया विरोधराज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से कुर्मी कुड़मी को अनुसूचित जाति में शामिल करने की तैयारी की जा रही है, जिसका आदिवासी सामाजिक संगठनों ने विरोध किया. मोर्चा की मानें तो 1931 तक कुर्मी जाति समेत कुल 13 जातियां आदिम जनजाति की श्रेणी में थी, लेकिन जब 1950 में इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया, उस समय कुर्मी जाति को भूलवश छोड़ दिया गया, जिसकी मांग मोर्चा कई वर्षों से कर रही है.
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आदिवासी समाज को जैसे ही पता चला कि पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से कुर्मी, कुड़मी, महतो जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की कवायद की जा रही है तो इसके खिलाफ आदिवासी सामाजिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया. आदिवासी सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया.
वहीं कई सामाजिक धार्मिक संगठनों के लोगों ने प्रेस वार्ता कर आंदोलन की चेतावनी दी है. आदिवासी समाज का कुर्मी समाज पर आरोप है कि आदिवासियों से लूटी जमीन बचाने और आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुर्मी समाज के लोग आदिवासी में शामिल होना चाहते हैं, जबकि आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति और परंपरा कुर्मी समाज से बिल्कुल अलग है.