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झारखंड में कुड़मी समाज के लोगों ने सरकार को दी चेतावनी, दोहरे मापदंड का लगाया आरोप - झारखंड का कुर्मी समाज

20 सितंबर को रांची में कुड़मी समाज के द्वारा किए गए रेल आंदोलन के माध्यम से की गई मांग पर आदिवासी समाज के नेताओं ने विरोध जताया है. जिस पर कुड़मी समाज ने आदिवासी समाज के नेताओं और राज्य सरकार को जवाब देते हुए कहा है कि यदि कुर्मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया तो आने वाले वक्त में कुड़मी समाज का आंदोलन और भी उग्र होगा.

kurmi vs tribals in jharkhand
kurmi press conference

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 24, 2023, 5:47 PM IST

रांची:झारखंड में कुड़मी आंदोलन अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है. झारखंड का कुड़मी समाज अब राज्य सरकार को घेरे में लेते हुए सवाल पूछ रहा है. कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि जिस प्रकार से 20 सितंबर को राज्य सरकार ने पहले वार्ता के लिए आश्वासन दिया और बाद में पुलिस से लाठी चलवाई, ये ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कुड़मी समाज के साथ दोहरी नीति अपना रही है. एक तरफ वार्ता के लिए आश्वासन देती है, दूसरी तरफ लाठी चार्ज कर समाज के लोगों को घायल करती है.

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उन्होंने आदिवासी नेता और पूर्व विधायक गीता श्री उरांव के बयान पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से उन्होंने कुड़मी समाज को हड़काने और धमकाने का काम किया है. वह कहीं से भी जायज नहीं है. इसी के साथ समाज के नेताओं ने गीता श्री उरांव के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि यदि गीताश्री उरांव झारखंड को भी मणिपुर बनाना चाहती हैं तो झारखंड का कुड़मी समाज भी कमजोर नहीं है.

कुर्मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि झारखंड के निर्माण में जयपाल सिंह मुंडा और शिबू सोरेन जैसे नेताओं का जितना योगदान रहा है, उतना ही योगदान निर्मल महतो और विनोद बिहारी महतो का भी रहा है. इसलिए झारखंड में आदिवासियों की श्रेणी में कुड़मी समाज को रखने की मांग 100 प्रतिशत जायज है, जिसे भारत सरकार और राज्य सरकार को मानना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 20 सितंबर को हुए आंदोलन में जितने भी कुड़मी समाज के आंदोलनकारी घायल हुए हैं और जितने लोगों पर अज्ञात और नामजद रूप से एफआईआर किया गया है, उसे सरकार वापस ले. उसके बाद ही समाज के लोग राज्य सरकार के साथ वार्ता करेंगे.

मालूम हो कि 20 सितंबर को हुए आंदोलन और ट्रेन रोको अभियान के तहत झारखंड पुलिस द्वारा कई लोगों पर लाठीचार्ज और एफआईआर दर्ज की गई है. जिसको लेकर रांची में कुड़मी समाज के नेताओं ने यह मांग की है कि यदि सभी कुड़मी नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर नहीं हटाया गया तो 26 सितंबर को मुख्य सचिव के साथ होने वाले वार्ता का कुड़मी नेता बहिष्कार करेंगे और आने वाले समय में उनका आंदोलन राज्य सरकार के खिलाफ और भी उग्र होगा.

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