रांची:गोला गोली कांड में रामगढ़ विधायक ममता देवी को एमएलए एमपी कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा सुनाई है (MLA Mamta Devi sentenced in Gola firing case). कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है रामगढ़ की कांग्रेस विधायक ममता देवी की विधायकी खत्म हो जाएगी. प्रावधान के तहत किसी भी विधायक को 2 वर्ष से अधिक की सजा होने पर उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो जाती है. इस तरह से ममता देवी के मामले में भी कोर्ट के फैसले की कॉपी विधानसभा को भेजी जायेगी. विधानसभा सजा की तारीख को इंगित करते हुए सदस्यता समाप्त करने का अधिसूचना जारी करेगा.
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झारखंड की पहली विधायक नहीं हैं ममता देवी:कोर्ट से सजा पाने के बाद सदस्यता गंवाने वाली ममता देवी पहली विधायक नहीं हैं. इससे पहले भी कई विधायकों की विधायकी कोर्ट की तरफ से सजा सुनाने के बाद खत्म हो चुकी है. इनमें एनोस एक्का के अलावा कमल किशोर भगत, गोमिया विधायक योगेंद्र साव और सिल्ली विधायक अमित महतो और बंधु तिर्की शामिल हैं.
कमल किशोर भगत: जून 2015 में तत्कालीन आजसू विधायक कमल किशोर भगत को कोर्ट ने डॉ. केके सिन्हा के साथ मारपीट मामले में सात साल की कैद और 10 हजार का जुर्माना लगाया था. जिसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी.
योगेंद्र प्रसाद: जनवरी 2018 को तत्कालीन गोमिया विधायक योगेंद्र महतो को कोयला चोरी के मामले में कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई. इस मामले में कोर्ट ने योगेंद्र समेत पांच लोगों को सजा सुनाई थी. कोर्ट के फैसेल के बाद उनकी भी विधायकी चली गई.
अमित महतो: मार्च 2018 को तत्कालीन जेएमएम विधायक अमित महतो को सीओ के साथ मारपीट मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई. यह मामला 2006 का था, जब अमित महतो ने अपने समर्थकों के साथ सीओ आलोक कुमार पर हमला कर दिया था. इस हमले में उनकी गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी. कोर्ट से सजा मिलने के बाद अमित महतो की विधायकी चली गई थी.
एनोस एक्का: पारा टीचर हत्या मामले में एनोस एक्का को कोर्ट ने जुलाई 2018 में आजीवन कारावास और एक लाख जुर्माना लगाया था, जिसके बाद उनकी विधायकी खत्म हो गई थी. 2014 विधानसभा चुनाव के दौरान सिमडेगा में पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या कर दी गई थी.
बंधु तिर्की: मांडर विधायक बंधु तिर्की को 28 मार्च 2022 को कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में तीन साल की कैद और तीन लाख का जुर्माना लगाया है. कोर्ट से सजा मिलने के बाद अब उनकी भी विधायकी जानी तय है.
निजामुद्दीन अंसारीः 2009 में राजधनवार से विधायक रहे निजामुद्दीन अंसारी की सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी. हालांकि उनके मामले में विधानसभा को समय पर सूचित नहीं किया गया था. बाद में विधानसभा के संज्ञान में आने पर सजा के दिन से उनकी विधायकी रद्द मानी गई थी. दिसंबर 2013 में गिरिडीह कोर्ट ने एक मामले में उन्हें 2 साल और 1 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.
झारखंड में उपचुनाव तय: विधानसभा से अधिसूचना जारी होने के बाद इसे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भेजा जायेगा. उसके बाद भारत निर्वाचन आयोग को रामगढ़ विधानसभा सीट खाली होने से अवगत कराते हुए उप चुनाव कराने का आग्रह किया जायेगा. वैधानिक प्रावधानों के अनुसार छह महीने के अंदर उप चुनाव कराया जाता है. ममता देवी मामले में भी संभावना यह है कि विधानसभा कोर्ट के फैसले के अनुसार अधिसूचना जारी करेगा.