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सरल भाषा मे जानिए क्या होता है बजट, 3 मार्च को विधानसभा में होगा पेश - गैर-योजनागत व्यय

ईटीवी भारत की टीम ने झारखंडवासियों के लिए सरल भाषा में बजट क्या होती है ये बताने की कोशिश की है. बजट की जानकारी रांची के संत जेवियर कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रोफेसर चौधरी ने सरल भाषा में दी है. इसमें उन्होंने सभी पहलुओं के बारे में बताया है. देखें क्या कहा उन्होंने.

Know what is budget in simple language
प्रोफेसर चौधरी

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Published : Feb 29, 2020, 9:47 PM IST

रांची: बजट को लेकर आम लोगों के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि आखिर यह क्या होता है?, कैसे इसे बनाया जाता है? और इससे उनका क्या फायदा होता है? झारखंड सरकार भी अपना बजट पेश करने वाली है आखिर क्या है बजट?

देखें क्या होता बजट

इसे सरल भाषा में समझाने के लिए रांची के संत जेवियर कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रोफेसर चौधरी की बातों को गौर से सुनिए तो बजट को लेकर आपके मन में जो भी जिज्ञासा हैं, उसका समाधान हो जाएगा.

क्या है बजट
प्रोफेसर चौधरी के अनुसार आप जिस तरह अपने घर का बजट बनाते हैं, उसी तरह सरकार हर साल अपना बजट भी बनाती है. बजट में सरकार की आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब होता है. सरल भाषा मे कहिए तो कोई सरकार किस मद में कितना खर्च करेगी और खर्च के लिए पैसे कहा से लाएगी उसी को बजट कहते है.

देखें क्या होता बजट

कोई भी सरकार सालभर का खर्च का बजट एक बार तैयार करती है. फिर उसी के हिसाब से वह अलग-अलग मदों में पैसे खर्च करती है. सरकार और आम आदमी के बजट में एक अंतर यह है कि आम आदमी के बजट में कमाई से खर्चे थोड़े कम होते हैं. इसमें आप कुछ पैसा बचाने की कोशिश करते हैं, जबकि सरकार जब बजट बनाता है उस में आमतौर पर खर्चे ज्यादा होते हैं और कमाई कम. ऐसे में सवाल उठता है कि खर्चे के लिए पैसे कहां से आएंगे खर्चों के लिए सरकार पैसे उधार लेती है कि सरकार के बजट को घाटे वाला बजट भी कहा जाता है.

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झारखंड के बजट में किन बातों का रखना होगा ख्याल
प्रोफेसर चौधरी के अनुसार झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है. दरअसल, झारखंड की हकीकत यह है कि यहां उद्योग तो है, लेकिन उनमें वह अब क्षमता नहीं है कि वह झारखंड के लोगों को पूर्ण रूप से रोजगार उत्पन्न करवा सकें.

ऐसे में झारखंड को अपने उन संसाधनों का प्रयोग कर इसकी आय को बढ़ानी होगी, जो यहां प्रचुर मात्रा में है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार झारखंड में कृषि की काफी संभावनाएं हैं. अगर सरकार अपने कृषि के पैदावार को बढ़ाने के लिए प्रयास करें तो यह अर्थव्यवस्था के लिए काफी बेहतर होगा.

दूसरी ओर झारखंड बुरी तरह से नदी पहाड़ों और झाड़ से घिरा हुआ है. ऐसे में यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं है. अगर पर्यटन को झारखंड सरकार विकसित कर ले तो यह आय का सबसे बड़ा साधन बनकर उभर सकता है.

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पेट्रोल से डीजल क्यों होता है सस्ता
आमतौर पर लोग यह सवाल जरूर पूछते हैं कि सरकार पेट्रोल से अधिक सस्ता डीजल का मूल्य क्यों रखती है. दरअसल, इसके पीछे हमारी पूरी अर्थव्यवस्था जुड़ी हुई है. कृषि से लेकर ट्रांसपोर्टेशन सब में डीजल ही प्रयोग में लाया जाता है.

अगर यह अधिक मूल्य में बाजार में बिकेगा तो महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ेगी. यही वजह है कि सरकार डीजल के दामों को कम रखती है. राज्य सरकार के पास भी इसका प्रावधान है कि अगर वह चाहें तो अपने जनता के हित में डीजल और पेट्रोल के दाम कम कर सकती हैं, लेकिन इससे सरकार के आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है.

सब्सिडी क्या है
बजट के दौरान सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी का भी काफी जिक्र होता है, राज्य सरकारें भी कई वस्तुओं पर सब्सिडी देती है. दरअसल, सरकार की ओर से आम लोगों को दी जाने वाली वो मदद है जो या तो नकद हो सकती है या फिर किसी अन्य तरह से जरूरतमंदों की सहायता करती है. कंपनियों को टैक्स में दी जाने वाली छूट भी सब्सिडी का हिस्सा है. इसका उद्देश्य आम लोगों को सरकार की ओर से राहत देना और उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है.

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बजट में क्या होता है राजस्व आय

राजस्व व्यय
राजस्व व्यय वह खर्च है जिसमें न तो राज्य में उत्पादकता बढ़ती है और न ही उससे कभी सरकार को कमाई होती है. यह खर्च गैर-विकासात्मक होता है. राजस्व व्यय में सरकार की दी जाने वाली सब्सिडी, ब्याज अदायगी, सरकारी डिपार्टमेंट्स और सरकारी स्कीम्स पर होने वाला खर्च और राज्य सरकारों को दिया जाने वाले अनुदान शामिल है.

योजनागत व्यय
सार्वजनिक व्यय का वह प्रकार जिसमें योजनागत तरीके से खर्च किया जाता है, योजनागत व्यय कहलाता है. ऐसे व्यय में उत्पादन परिसंप्त्तियों का निर्माण होता है. सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए यह व्यय किया जाता है.

गैर-योजनागत व्यय
योजनागत व्यय से इतर इसमें योजनागत तरीके से खर्च नहीं किया जाता है. इसमें वेतन, पेंशन आदि पर होने वाला खर्च शामिल होता है. सार्वजनिक व्यय के अंतर्गत ही राज्यों को आपात स्थितियों जैसे बाढ़, भूकंप, सूखा आदि से निपटने के लिए धन दिया जाता है.

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