रांची:पारा शिक्षकों के बाद कस्तूरबा स्कूल में पढ़ाने वाले अंशकालिक शिक्षकों ने भी आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई है. अंशकालिक शिक्षक निर्धारित वेतनमान की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं और उन्हें भी लगातार आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन अब इन शिक्षकों के सब्र का बांध टूट चुका है.
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राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निजी स्कूलों जैसी सुविधाओं के तरह पठन-पाठन दिया जा सके. इस उद्देश्य से साल 2009 में राज्य भर में कस्तूरबा विद्यालय की शुरुआत की गई थी. इन विद्यालयों में पठन-पाठन को व्यवस्थित करने के लिए अंशकालिक शिक्षकों की बहाली की गई थी. इन शिक्षकों को प्रत्येक दिन 300 रुपये दिए जाते हैं और शुरुआती दौर में जो मानदेय तय किया गया था, उसी मानदेय पर आज तक यह शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों का कहना है कि उनके मानदेय में बढ़ोतरी हो और सरकार स्थायीकरण को लेकर भी ध्यान दे.