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Karam 2023: करम पर्व सिर्फ आदिवासियों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं, सनातन धर्म के लोगों के लिए भी रखता है खास महत्व, जानिए क्या कहते हैं जानकार - पदमा एकादशी

आदिवासी समाज के लिए करम पर्व जितना महत्व रखता है, उतना ही महत्वपूर्ण सनातन धर्म के लिए भी माना जाता है. हालांकि ज्यादातर झारखंड में आदिवासी समाज के लोग ही करमा पर्व मनाते हैं. सनातन धर्म में क्या है करम पूजा का महत्व जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Karam Festival Importance For Sanatan Dharma
Karam Festival Importance For Sanatan Dharma

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 25, 2023, 6:29 AM IST

रांची: झारखंड में करम पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. आदिवासी समाज के लोग अपने घरों के आंगन में करम वृक्ष की डाल को लगाते हैं और आदिवासी समाज की महिलाएं करम डाल की पूजा कर पारंपरिक तरीके से इसके चारों ओर नृत्य करती हैं, ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सके. हर वर्ष एकादशी के दिन करम पूजा की जाती है. करम पूजा हर वर्ष भाग पद मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को की जाती है. इसलिए सनातन धर्म में इसे करम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

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करम-धरम की कथा अवश्य सुनें: राजधानी के प्रख्यात पंडित और ज्योतिषाचार्य जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि यह करम एकादशी बहुत ही फलदायक है. इस एकादशी को करने से घर के परिजनों के बीच भाईचारा और प्रेम बना रहता है. इस एकादशी के अवसर पर करम-धरम के कथा भी सुननी चाहिए.

करमा पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है:पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा सदा भक्तों पर बनी रहती है. साथ ही भाई-बहन का प्रेम भी बना रहता है. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के दूसरे रूप पदमा के रूप में पूजी जाती हैं. इसलिए इसे पदमा एकादशी भी कहा जाता है.

सनातन धर्म में करम पूजा का विशेष महत्वः सनातन धर्म के जानकारों का कहना है कि यह पर्व जितना महत्वपूर्ण आदिवासी समाज के लिए है, उतना ही महत्वपूर्ण सनातन धर्म के लोगों के लिए भी है. क्योंकि हर वर्ष करम पूजा एकादशी के दिन ही मनाई जाती है.

करम एकादशी पर ऐसे करें पूजा: इस एकादशी के दिन भक्त सूर्योदय से पहले स्नान कर अपने घर के पास के मंदिर या फिर घरों में स्थापित मंदिर में मौजूद देवी-देवताओं को अक्षत और फूलों से पूजन करें. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मूर्ति के समक्ष घी का दीपक भी अवश्य जलाएं.

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