रांची:कांटा टोली फ्लाईओवर का संशोधित बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. परामर्शी एजेंसी एनएल मालविया प्राइवेट लिमिटेड ने बुधवार को नगर विकास और आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे के समक्ष फिजीबिलीटी रिपोर्ट का प्रेजेंटेशन दिया. फिजीबिलीटी रिपोर्ट पर सचिव चौबे ने संतुष्टि दिखाई. इस अवसर पर जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार भी उपस्थित रहे. सचिव ने कुछ आवश्यक निर्देश देते हुए जल्द डीपीआर बनाने और निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.
कांटा टोली फ्लाईओवर का मार्गप्रशस्त
पहले कांटा टोली फ्लाईओवर खादगढा बस स्टैंड के सामने से कोकर की ओर शांतिनगर तक बनना था, लेकिन यातायात की समस्या से निजात दिलाने के लिए अब योगदा सत्संग मठ से बहुबाजार होते हुए कोकर तक फ्लाईओवर का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया है. साथ ही यातायात बिना प्रभावित किए निर्माण कार्य कराने के लिए प्रीकास्ट सेगमेंटल बाक्स गर्डर प्रणाली से फ्लाईओवर बनाने का निर्णय लिया गया है.
फ्लाईओवर की लंबाई 2100 मीटर
इसकी लंबाई लगभग 2100 मीटर होगी. फ्लाई ओवर फोरलेन होगा, जिसमें रेलिंग और डिवाइडर लेकर सड़क की चौड़ाई 16.6 मीटर होगी. पूर्व में कराए गए कार्य और भूअर्जन के अलावा शेष कार्य में लगभग 187 करोड़ रुपये खर्च का आंकलन परामर्शी की तरफ से किया गया है. डीपीआर बनाने के लिए चयनित एजेंसी एलएन मालविया ने फिजीबिलीटी रिपोर्ट में सुगम यातायात के लिए कांटाटोली चौक के जंक्शन के विकास का भी प्रावधान किया है.
अतिरिक्त लेन का प्रावधान
सिरमटोली की तरफ से खादगढ़ा और लालपुर आने वाले वाहनों के लिए फ्लाईओवर से कटकर एक लेन बस स्टैंड की ओर मोड़ दिया जाएगा. इसी तरह लालपुर और नामकुम से सिरमटोली की तरफ जाने वाले वाहन बस सटैंड के निकट फ्लाईओवर पर एक अतिरिक्त लेन का प्रावधान किए जाने से निर्बाध आवागमन कर सकेंगे. विस्तारित फ्लाईओवर के निर्माण में न्यूनतम भूमि अर्जन का प्रावधान रखा गया है. लगभग एक एकड़ भूमि का अर्जन किया जा सकता है.
रांची: 2 वर्ष में कांटा टोली फ्लाईओवर का होगा निर्माण, डीपीआर बनने का मार्ग प्रशस्त
रांची के कांटा टोली फ्लाईओवर का मार्ग तय हो गया है. इस फ्लाईओवर का निर्माण लगभग दो साल में पूरा हो जाएगा. वहीं डीपीआर बनने और निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे दिया गया है.
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लगभग दो साल में होगा निर्माण पूरा
सचिव ने निर्देश दिया है कि अगर संभव हो तो जो भी सीमांत और मझोले व्यावसायी प्रभावित होंगे. उन्हें योजना के रैंप वाले भाग में पुनर्वासित कराने में सहयोग दिया जाए. फिजीबिलीटी रिपोर्ट संतोषजनक पाए जाने के बाद अब डीपीआर बनने में लगभग दो महीने का समय लगेगा. इसके बाद राज्य सरकार से इस परियोजना के लिए संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति लेने और अन्य मंजूरी लेने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस कार्य में लगभग तीन महीने लग सकते हैं. इस तरह विस्तारित फ्लाईओवर का कार्य शुरू होने में पांच महीने लग सकते है. फ्लाईओवर का निर्माण कार्य लगभग दो साल में पूरा होगा.