रांची: झारखंड में हुनरमंद युवाओं की कमी नहीं है. पूरे प्रदेश के विभिन्न गांव और सुदूर क्षेत्रों से हुनरमंद युवा अपनी-अपनी कला से देश और दुनिया में झारखंड का नाम रौशन कर रहे हैं. ऐसे ही एक युवा हैं कामदेव. कामदेव झारखंड के सरायकेला जिला से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता और माता आज भी सरायकेला के गांव बसूरदा में रहते हैं. कामदेव ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से पूरी की और फिर उसके बाद जमशेदपुर से फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया.
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बचपन से ही था मशीनों से लगाव:कामदेव को बचपन से ही मशीनों में दिल लगता था और वह मशीनों के साथ बचपन से ही रहते थे. वो बताते हैं कि जब वह छोटे थे तो अपने घर के खेतों में उपयोग होने वाले मशीन के साथ भी कुछ न कुछ अपनी तकनीकी दिमाग लगाते रहते थे ताकि उनके माता-पिता को खेती करने में आसानी हो सके.
फिजिक्स से किया ग्रेजुएशन:उनकी यही रुचि उन्हें आगे लेकर गई और उन्होंने फिजिक्स से ऑनर्स किया. कामदेव बताते हैं कि किसान होने की वजह से वह आर्थिक रूप से मजबूत नहीं थे. इसीलिए वह इंजीनियरिंग नहीं कर पाए, लेकिन इंजीनियरिंग के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ. फिर उन्होंने फिजिक्स से ऑनर्स करने का फैसला किया. जमशेदपुर से ग्रेजुएशन करने के बाद वह रांची आ गए और रांची में आकर बीआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के संपर्क में आए. इंजीनियरिंग के छात्रों से संपर्क में आने के बाद वह अपने रुचि को आगे बढ़ाते चले गए.
इलेक्ट्रिक और बैटरी की कई गाड़ियों का किया आविष्कार:ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कामदेव बताते हैं कि जब वह पढ़ाई कर रहे थे तो उसी वक्त उन्हें यह अनुभव हो गया कि अब आने वाला दिन इलेक्ट्रिक और बैटरी का है. क्योंकि जिस प्रकार से पूरी दुनिया में तेल की कमी हो रही है और तेल के दाम आसमान छू रहे हैं, ऐसे में अब लोगों के लिए बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहन ही एक माध्यम बचा है. इसीलिए उन्होंने बैटरी की गाड़ियों का आविष्कार किया. उनके द्वारा कई बैटरी गाड़ियां बनाई गईं. जिसे लोगों ने खूब पसंद भी किया. जेड इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी नाम से उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की. जिसके अंतर्गत कई बैटरी गाड़ियों का आविष्कार किया.
प्लेन के पहिए से बनाई एक अनोखी बाइक:बैटरी गाड़ियों में एक ऐसी मोटरसाइकिल उन्होंने बनाई, जिसके पहिए एरोप्लेन से लिए गए हैं और वह जब जमीन पर चलती है तो कई गाड़ियों को अपनी रफ्तार से पीछे छोड़ देती है.