रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग यानी जेपीएससी का हमेशा से ही विवादों से गहरा नाता रहा है. बीते 21 वर्ष में जेपीएससी ने कुल 6 सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की हैं. शायद ही कोई ऐसी परीक्षा हो जिसमें विवाद ना हुआ हो.
जेपीएससी की तैयारी करने वाले युवा हमेशा ही ठगा महसूस करते हैं और लगातार आंदोलन भी होता रहा है. एक बार फिर हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जेपीएससी के अभ्यर्थी बापू वाटिका के समक्ष पूरे जेपीएससी को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की है.
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गठन के साथ ही विवाद शुरू
झारखंड गठन के बाद वर्ष 2002 में जेपीएससी का गठन हुआ था और वर्ष 2003 में पहली जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की गयी थी. झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से ली गई इस परीक्षा में 64 सीट थी. 2 साल बाद 2005 में 172 सीटों के लिए जेपीएससी ने परीक्षा का आयोजन किया और शुरू से ही जेपीएससी विवादों के घेरे में आ गया.
20 वर्षों में हुई 6 जेपीएससी परीक्षा
पहली जेपीएससी से लेकर अब तक हुई सिविल सेवा परीक्षा पर कभी करप्शन पर विवाद तो कभी आरक्षण को लेकर जेपीएससी के अभ्यर्थियों ने जोरदार आंदोलन किया.
जेपीएससी की विभिन्न परीक्षाओं को लेकर 42 मामले कोर्ट में चल रहे हैं. वहीं कई एग्जाम की सीबीआई जांच चल रही है. बीते 20 वर्षों में जेपीएससी ने कुल 6 सिविल सेवा परीक्षा अब तक ली है. शायद ही कोई ऐसी परीक्षा हो जिसमें विवाद ना हुआ हो.
समय अंतराल बढ़ा सीटें घटीं
सिविल सेवा परीक्षा के आयोजन में समय का अंतराल तो बढ़ता गया लेकिन सीटों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती चली गई. एक बार फिर झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से सातवीं से दसवीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है.
झारखंड लोक सेवा आयोग संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा 2021 को लेकर प्रारंभिक परीक्षा की संभावित तिथि 2 मई 2021 रखी गयी थी लेकिन कोरोना के कारण फिलहाल यह परीक्षा स्थगित है. वहीं राज्य में छठी सिविल सेवा परीक्षा के बाद से होने वाली सातवीं से दसवीं सिविल सेवा परीक्षा के बीच 5 साल का अंतर है.
छठी सिविल सेवा परीक्षा में थी सबसे ज्यादा सीट
राज्य सरकार की ओर से राज्य लोक प्रशासन में 5 साल तक कोई नियुक्ति नहीं करने के बाद भी सातवीं से दसवीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में रिक्तियों की संख्या कम है और इससे अभ्यर्थी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
छठी सिविल सेवा परीक्षा की रिक्तियों से इस बार की रिक्तियों में 76 सीट कम हो गयी हैं, जबकि 20 साल में हुई छह सिविल सेवा परीक्षाओं में सबसे ज्यादा नियुक्तियां छठी सिविल सेवा परीक्षा में हुई है और सबसे कम नियुक्ति पहली सिविल सेवा परीक्षा में हुईं थीं.
छठी सिविल सेवा परीक्षा में सबसे अधिक सीटें
ऐसा पहली बार हो रहा है जब जेपीएससी संयुक्त रूप से चार सिविल सेवा परीक्षा आयोजित कर रहा है और यह परीक्षा 5 सालों के अंतराल में आयोजित की जा रही है. इसके बावजूद रिक्तियां एक सिविल सेवा परीक्षा के बराबर नहीं हैं.
पहले की परीक्षाओं में रिक्तियों की संख्या को देखें तो पहली सिविल सेवा परीक्षा में रिक्तियों की संख्या 64, दूसरी सिविल सेवा परीक्षा में 172, तीसरी सिविल सेवा परीक्षा में 242, चौथी सिविल सेवा परीक्षा में 219, पांचवी सिविल सेवा परीक्षा में 269 और छठी सिविल सेवा परीक्षा में 326 सीटों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी.
अब तक सबसे अधिक सीटों में छठी सिविल सेवा परीक्षा में ही सीटें रखी गई थी और सबसे ज्यादा विवाद भी छठी सिविल सेवा परीक्षा के दौरान ही हुआ है.
हाई कोर्ट में केस हैं फाइल
इसे लेकर अभ्यर्थियों की ओर से हाई कोर्ट में केस भी फाइल किया गया था. हाई कोर्ट के एक आदेश में कहा गया कि मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए नई मेरिट लिस्ट 8 हफ्ते के अंदर जारी किया जाए. इसके बावजूद अभ्यर्थियों की ओर से इस पूरे परीक्षा को ही रद्द करने की मांग की जा रही है. एक बार फिर अभ्यर्थियों ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है.
कई बड़े अधिकारी नपेंगे
ऐसा माना जा रहा है कि छठी सिविल सेवा परीक्षा में अगर स्पष्ट जांच की गई तो कई अधिकारी भी नपेंगे. 7 जून को आए हाई कोर्ट के आदेश के बाद पूरे मामले को लेकर जांच होने की संभावना बढ़ गई है लेकिन अगर छठी जेपीएससी को लेकर पूरी तरह जांच की गई तो मामले में कई बड़े अधिकारियों के नाम भी सामने आएंगे.
नई मेरिट लिस्ट बनाना आसान नहीं
जेपीएससी के लिए पुरानी मेरिट लिस्ट रद्द कर नई मेरिट लिस्ट जारी करना आसान नहीं होगा क्योंकि छठी जेपीएससी की पूरी मेरिट लिस्ट पब्लिक डोमेन में है. मुख्य परीक्षा के अंक और इंटरव्यू के अंक भी उसमें दिए गए हैं. ऐसे में अब जो भी नए लोग इसमें इंटरव्यू देंगे. उन्हें पूरा मार्क्स का पता होगा और गोपनीयता पूरी तरह भंग हो जाएगी. नई लिस्ट में भी गड़बड़ी की संभावना जताई जा रही है.