रांचीः किसान आंदोलन के नाम पर देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. किसानों का ट्रैक्टर परेड किस तरह डिरेल हुआ यह सबने देखा. लेकिन लाल किला की प्राचीर पर अपना झंडा फहराकर उपद्रवियों ने गणतंत्र दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाई है. इस घटना की चौतरफा निंदा हो रही है. इसपर झामुमो की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है. झामुमो के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एक वीडियो ट्वीट किया गया है. इस वीडियो में कानून व्यवस्था तोड़ने वाले किसानों पर दिल्ली पुलिस की सख्ती दिख रही है. आंसू गैस के गोले से निकलता धुआं दिख रहा है. लाठियों की आवाज सुनाई दे रही है. इस वीडियो के साथ झामुमो की तरफ से लिखा गया है कि "जय जवान-जय किसान के बीच यूं दूरी न बनाओ".
हालांकि इस मैसेज से स्पष्ट नहीं है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा इस दूरी के लिए किसको जिम्मेदार ठहरा रही है. राजनीतिक गलियारे में झामुमो के इस मैसेज की खूब चर्चा हो रही है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या पहले से निर्धारित रूट पर ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली पुलिस ने जबरन लाठी चलाना शुरू कर दिया. यह भी पूछा जा रहा है कि जब पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर लाल किले की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश हो रही थी तो फिर पुलिस क्या हाथ पर हाथ धरे बैठती. आमतौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से हर छोटे-मोटे मामलों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस घटना पर किसी ना तो किसी तरह का प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ और ना ही झामुमो के किसी प्रवक्ता ने अपना बयान जारी किया. लिहाजा यह सवाल लाजिमी है कि जवान और किसान के बीच दिल्ली में जो कुछ हुआ उसके लिए झामुमो किसको जिम्मेदार मानती है.
यह स्पष्ट कर दें कि दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसान आंदोलन को झामुमो का नैतिक समर्थन रहा है. आज वामदलों ने आंदोलन के समर्थन में रांची के राजेंद्र चौक से मोराबादी तक रैली भी निकाली थी लेकिन इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता शामिल नहीं हुए थे.