झामुमो और बीजेपी नेता के बयान रांची: मंगलवार का दिन बाबूलाल मरांडी के लिए मंगल रहा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बाबूलाल मरांडी का नाम आते ही झारखंड की राजनीति गरमा गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ने बीजेपी के इस फैसले पर तंज कसा है. वहीं झारखंड बीजेपी ने इसकी सराहना की है.
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झारखंड बीजेपी की कमान बाबूलाल मरांडी को मिली है. कहा जा रहा है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने बाबूलाल मरांडी को जिम्मेदारी देकर 2024 के मिशन को कामयाब करने के लिए ट्राइबल कार्ड खेला है. बीजेपी के इस दांव से झारखंड की राजनीति मंगलवार को दोपहर बाद अचानक गरमा गई. बीजेपी दफ्तर में जहां हलचल बढ़ी, वहीं यह खबर झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय समिति की विस्तारित बैठक तक भी पहुंच गई. उस बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सभी टॉप टू बॉटम नेता मौजूद थे और सभी 2024 पर ही मंथन करने के लिए जुटे थे.
बाबूलाल मरांडी, सोरेन परिवार और झारखंड मुक्ति मोर्चा के धूर विरोधी माने जाते हैं, ये उनके द्वारा हर दिन सोशल मीडिया में हो रहे पोस्ट पर भी दिखता है. झामुमो नेताओं ने बाबूलाल मरांडी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर तंज कसा है. झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने बाबूलाल मरांडी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी को उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था.
सरफराज अहमद ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से बीजेपी को कुछ भी फायदा नहीं होगा, क्योंकि बाबूलाल मरांडी सामान्य सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. इसमें वे कभी दूसरे तो कभी तीसरे नंबर पर रहते हैं. ऐसे में ट्राइबल फेस के रूप में बाबूलाल मरांडी को 2024 के चुनाव के लिए पेश करना भूल होगी. अर्जुन मुंडा का नाम लेते हुए सरफराज अहमद ने कहा कि अर्जुन मुंडा केंद्रीय मंत्री भी हैं और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं, उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती थी, मगर ऐसा नहीं हुआ है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर खेमेबाजी जबरदस्त रूप से है और बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद यह पार्टी चार भागों में बंट जाएगी.
वहीं, बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से बीजेपी के अंदर उत्साह देखा जा रहा है. पूर्व स्पीकर और रांची के बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि बाबूलाल मरांडी को संगठन से लेकर सरकार तक का अनुभव है. वह सांसद, विधायक और झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यह महसूस हुआ है कि उनके नेतृत्व में संगठन और मजबूत होगा, इसलिए उन्हें जिम्मेदारी दी गई है.