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अब उपराष्ट्रपति चुनाव की बारी, सिर्फ सांसद करते हैं मतदान, क्या है झारखंड में वोट का समीकरण, क्या होगा झामुमो का स्टैंड - Jharkhand News

6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होना है, सत्ता पक्ष की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं. चुनाव नजदीक आ रहा है लेकिन जेएमएम की ओर से अभी तक स्टैंड साफ नहीं किया गया है.

JMM stand on Vice Presidential Election
JMM stand on Vice Presidential Election

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Published : Jul 27, 2022, 7:22 PM IST

Updated : Jul 27, 2022, 9:26 PM IST

रांची: राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होना है. विपक्षी दलों ने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया है. दूसरी तरफ एनडीए ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है. आंकड़ों के लिहाज से एनडीए का पलड़ा भारी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान विपक्षी एकजुटता देखने को मिलेगी. क्योंकि राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव के दौरान सत्ताधारी दल झामुमो ने आदिवासी कार्ड का हवाला देते हुए विपक्षी फैसले से हटकर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया था. यही नहीं झारखंड के दस कांग्रेस विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग भी की थी, इसमें एक वोट अमान्य हो गया था. हालांकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में विधायकों की कोई भूमिका नहीं रहती. लिहाजा, सांसदों पर नजर रहेगी.

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अब सवाल है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में झामुमो का स्टैंड क्या होगा. अभी तक झामुमो ने अपना पत्ता नहीं खोला है. झामुमो नेता सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि अभी चुनाव होने में वक्त है. पार्टी नेतृत्व सही समय पर फैसला लेगी. अब सवाल यह है कि अपना पत्ता खोलने में झामुमो क्यों वक्त लेना चाह रहा है. इसपर झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने कहा कि भले झामुमो किसी फैसले पर पहुंचने के लिए वक्त का हवाला दे रहा हो लेकिन वोट के समीकरण को देखें तो झामुमो के लिए मार्गरेट अल्वा के खिलाफ जाना मुश्किल होगा. क्योंकि मार्गरेट अल्वा ईसाई समाज से आती हैं. वह खानदानी नेता हैं. लंबे समय से राजनीति कर रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमो को ईसाई समाज का समर्थन मिला है. इसलिए मार्गरेट अल्वा के खिलाफ जाना झामुमो के लिए आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह अलग बात है कि हालिया परिस्थति में केंद्र के इशारे पर चलना पड़ जाए. वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि झामुमो की हर चाल उसके वोट के समीकरण के हिसाब से तय होती है. राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को एनडीए ने जिस दिन उम्मीदवार घोषित किया था, उसी दिन तय हो गया था कि झामुमो का फैसला क्या होगा.

उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ सांसद देते हैं वोट:राष्ट्रपति के चुनाव में सभी सांसदों के साथ देशभर के विधानसभाओं के विधायक वोट डालते हैं. लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने का काम केवल सांसद ही करते हैं. उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है. इसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं और हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है. यह व्यवस्था साल 1952 से चली आ रही है.

झारखंड में वोट का गणित:झारखंड में लोकसभा सांसदों की संख्या 14 है, जबकि 6 राज्यसभा सांसद हैं. इनमें 11 लोकसभा सांसद भाजपा के हैं. एनडीए में शामिल आजसू के एक सांसद हैं. वहीं कांग्रेस की गीता कोड़ा और झामुमो के विजय हांसदा लोकसभा सांसद हैं. राज्यसभा में भाजपा के तीन, झामुमों के दो और कांग्रेस के एक सांसद हैं. कुल 20 सांसदों में एनडीए के पास 15 सांसद हैं. शेष पांच सांसद विपक्ष में हैं. इसबार उपराष्ट्रपति के चुनाव में रिटर्निंग अफसर की भूमिका लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह निभाएंगे. जबकि संयुक्त सचिव पीसी त्रिपाठी और लोकसभा सचिवालय के निदेशक राजू श्रीवास्तव अस्सिटेंट रिटर्निंग अफसर होंगे.

Last Updated : Jul 27, 2022, 9:26 PM IST

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