रांची: राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister) ने 15 जून को गैर भाजपाई मुख्यमंत्री और राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है. इसे लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा भी तैयारी में जुटा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का संदेश हम लोगों को मिला है. इस पर जो भी फैसला होना है, वह हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष बैठक करके निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के निर्णय के बाद अपने सहयोगी दोनों दल राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ भी बैठक करेंगे और सहयोगी दलों के साथ बैठक के बाद कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो निर्णय होगा, उसके आधार पर हम लोग काम करेंगे. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में जाने और नहीं जाने का निर्णय भी राज्य में जेएमएम, आरजेडी और कांग्रेस की बैठक के बाद तय किया जाएगा.
राष्ट्रपति चुनाव: ममता दीदी के बुलावे पर जेएमएम कर रहा विचार, बैठक के बाद लेगा फैसला - CM Mamata Banerjee meeting
राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 15 जून को विपक्ष की बैठक बुलाई है. इस बैठक में शामिल होने के लिए 22 नेताओं को पत्र भेजा गया है. झारखंड को मिले पत्र पर जेएमएम के केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि इस संबंध में राज्य में बैठक की जाएगी, उसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि बैठक में शामिल होना है या नहीं.
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बता दें, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर 15 जून को नई दिल्ली में सभी विपक्षी दलों के नेताओं और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है. बैठक कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होगी. इस बैठक के लिए उन्होंने 22 नेताओं को एक पत्र भेजा है, जिसमें विभिन्न विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं. पत्र में कहा गया है कि 'राष्ट्रपति चुनाव सभी प्रगतिशील विपक्षी दलों के लिए भारतीय राजनीति के भविष्य के पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार और विचार-विमर्श करने का सही अवसर है. चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विधायकों को हमारे राज्य के प्रमुख को तय करने में भाग लेने का मौका देता है जो लोकतंत्र के संरक्षक हैं. ऐसे समय में जब हमारा लोकतंत्र संकट के दौर से गुजर रहा है, मेरा मानना है कि वंचित और अभूतपूर्व समुदायों को प्रतिध्वनित करने के लिए विपक्षी आवाजों का एक उपयोगी संगम समय की जरूरत है.'