रांची: झारखंड में विपक्षी बीजेपी विधायकों के आवास आवंटन में भेदभाव के आरोप पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा की जिन सवालों को बीजेपी विधायक उठा रहे हैं, उन्हें पहले ही उठाया जाना चाहिए था. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ तौर पर कहा कि माननीय विधायकों का बंगला प्रेम उनसे ये सब करवाया जा रहा है.
पूर्ववर्ती सरकार में क्यों नहीं बीजेपी विधायकों ने उठाये सवालराज्य सरकार में मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वैसे तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कोई भी स्वतंत्र है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के विधायकों को इस बात को संज्ञान में रखना चाहिए था कि पहली बार जीत कर आने के बाद उन्हें जो आवास दिया गया वह उसके लिए योग्य थे अथवा नहीं. उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक अब वरीयता का सवाल उठा रहे हैं, उस समय उन्होंने यह सवाल क्यों नहीं उठाया जब पहली बार जीत कर आए, उस समय कथित तौर पर उन्हें जो सरकारी आवास मिला वह किस मापदंड के आधार पर मिला यह भी बीजेपी विधायकों को बताना चाहिए. हालांकि आलमगीर आलम ने साफ कहा कि न्यायालय का दरवाजा कोई भी खटखटा सकता है.
झामुमो का पलटवार सरकार पर लगे आरोप बेबुनियाद
वहीं दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता बिनोद पांडे ने कहा कि सरकार के ऊपर यह आरोप लगाना सही नहीं है, आवास आवंटन में भेदभाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार सभी बिंदुओं को ध्यान रखती है और उसके बाद ही यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. उन्होंने कहा कि दरअसल माननीय विधायकों का बंगला प्रेम उनसे ऐसा करवा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से नोटिस जारी की जा रही है, उसके बावजूद भी विधायक आवास खाली नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधायकों कोआदर्श प्रस्तुत करना चाहिए और समय रहते बंगला खाली कर देना चाहिए.
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दरअसल, बोकारो से विधायक विरंची नारायण ने अपने सरकारी बंगले खाली कराने को लेकर जारी किए गए नोटिस पर आपत्ति जताई थी, साथ ही उन्होंने इस मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. लगभग एक दर्जन विधायकों को अपना बंगला खाली करने का निर्देश दिया गया था उनमें बीजेपी विधायक भी शामिल हैं.