रांची: बिहार से अलग होकर नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड में शुरुआती दिनों में राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा. यह दौर 2014 तक चला. इस दौरान राष्ट्रपति शासन लगा और बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, निर्दलीय विधायक के रूप में मधु कोड़ा और फिर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में बनी सरकार ने पहली बार अपना कार्यकाल पूरा किया. इन सबके के बीच एक रोचक तथ्य यह है कि राज्य बनने के 23 वर्ष में जब जब ऐसा मौका आया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस राज्य सत्ता में साथ रहे, उसके ठीक अगले चुनाव में दोनों अलग अलग होकर चुनाव लड़े और इसका चुनावी फायदा भाजपा गठबंधन को मिला.
झामुमो और कांग्रेस के समर्थन से मधु कोड़ा की बनी थी सरकार: झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद और कांग्रेस के नेता खुद को स्वाभाविक सहयोगी भले ही बताते हो. 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद जो नतीजे आये उस राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक मौका ऐसा भी आया जब झामुमो-कांग्रेस और राजद के सहयोग से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने...लेकिन जब 2009 में विधानसभा का चुनाव हुआ तब झामुमो, राजद और कांग्रेस तीनों अलग अलग होकर चुनाव लड़े. तब झामुमो अकेले 78 सीटों पर, कांग्रेस 61 सीटों और राजद ने 56 सीटों पर चुनाव लड़कर क्रमशः 18, 14 और 05 सीटें जीती.
इस चुनाव के बाद जो नतीजे आए उसके बाद राज्य में झामुमो और भाजपा ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में मिलकर सरकार बना ली. लेकिन ढाई ढाई साल के शर्त का हवाला देकर जब झामुमो ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी. कुछ महीनों तक राष्ट्रपति शासन के बाद कांग्रेस, राजद के सहयोग से झामुमो ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बना ली. यह सरकार करीब 14 महीने चली, लेकिन जब 2014 में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तो सत्ता के सहयोगी रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस फिर अलग हो गए.
2014 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो ने 79 सीट, कांग्रेस 62 सीट और राजद ने 19 विधानसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया. इस चुनाव में आजसू-भाजपा-लोजपा ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़कर 42 सीटें जीत लीं और रघुवर दास मुख्यमंत्री बनें. झामुमो मुख्य विपक्षी दल बना.
फिर 2019 में एकजुट हुए झामुमो-कांग्रेस-राजदः2014 से 2019 तक राज्य की सत्ता से दूर रहने के बाद फिर एक बार झामुमो-कांग्रेस और राजद के नेताओं ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा. झामुमो 43 सीट पर, राजद 7 सीट पर और कांग्रेस ने 31 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. इसका नतीजा यह रहा कि झामुमो 30 सीट जीतने में सफल रहा तो कांग्रेस ने 16 और राजद ने 1 विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की. 81 की विधानसभा में 47 सीट जीतकर हेमंत सोरेन आज तक सत्ता में हैं.