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मछली से मालामाल हो रहे झारखंड के नौजवान, रोजगार के बढ़े अवसर, मत्स्य बीज ने बढ़ाई आमदनी

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Published : Aug 11, 2023, 7:32 PM IST

Updated : Aug 11, 2023, 7:42 PM IST

झारखंड नीली क्रांति में एक कदम और आगे बढ़ रहा है. झारखंड अब ना सिर्फ दूसरे राज्यों को मछली निर्यात कर रहा है बल्कि अब यहां से इसके बीज भी दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं.

Jharkhand youth getting rich from fish
Jharkhand youth getting rich from fish

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रांची: वर्ष 2000 में नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड ने मछली उत्पादन के क्षेत्र में खूब तरक्की की है. राज्य में हुई नीली क्रांति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 22 साल पहले जिस झारखंड में महज 14 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन था. वह पिछले वित्तीय वर्ष में बढ़कर रिकॉर्ड 02 लाख 80 हजार मीट्रिक टन हो गया है.

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अब झारखंड मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर के बाद निर्यातक राज्य बनने की ओर अग्रसर है. राज्य के अलग-अलग जिलों के कुल 7500 प्रगतिशील युवा मत्स्य पालकों को मत्स्य बीज उत्पादन का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सरकार की योजना इस वित्तीय वर्ष में राज्य में ही लगभग 1200 करोड़ मत्स्य बीज उत्पादन का है. राज्य के मत्स्य निदेशक डॉ एच एन द्विवेदी ने बताया कि अलग-अलग जिलों से चयनित 7500 युवा मत्स्य बीज पालकों का प्रशिक्षण लगभग पूरा हो गया है. ये मत्स्य बीज उत्पादक अपने-अपने जिले के मछली पालकों को भी बीज उपलब्ध कराएंगे और खुद अपने तालाब में भी मछली पालन करेंगे.

किस जिले में कितने मत्स्य बीज उत्पादन किये जा रहे हैं तैयार:झारखंड के 24 जिलों को मिलाकर कल 7500 मत्स्य बीज उत्पादन तैयार किया जा रहे हैं. रांची में 382, खूंटी में 170, गुमला में 300, सिमडेगा में 210 ,लोहरदगा में 220, लातेहार में 260, पश्चिमी सिंहभूम में 358, पूर्वी सिंहभूम में 290 ,सरायकेला खरसावां में 420, दुमका में 280 ,जामताड़ा में 210 ,साहिबगंज में 210,पाकुड में 210, हजारीबाग में 470, रामगढ़ में 310, कोडरमा में 330 ,चतरा में 340 ,बोकारो में 410, गिरिडीह में 300, धनबाद में 385 ,गोड्डा में 325, पलामू में 370,गढ़वा में 320 और देवघर में 420 युवाओं को मत्स्य बीज उत्पादन का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सरकार 90 फीसदी सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही है स्पॉन:मत्स्य निदेशक ने बताया कि राज्य में मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए न सिर्फ निदेशालय के स्तर पर विशेष प्रशिक्षण निःशुल्क दिया जा रहा है. बल्कि प्रशिक्षण के बाद 90% सब्सिडी मत्स्य स्पॉन दिए जा रहे हैं. इसके साथ-साथ 2000 रुपए का फीड और मत्स्य बीज उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला नेट भी निशुल्क विभाग की ओर से दिया जा रहा है.

प्रशिक्षण ले रहे युवाओं में उत्साह:रांची के मांडर प्रखंड से अपने दोस्तों के साथ प्रशिक्षण के लिए रांची के डोरंडा स्थित मत्स्य निदेशालय पहुंचे विनोद तिग्गा ने कहा कि पहले यह भी पता नहीं था कि स्पॉन क्या होता है, फिंगर फ्राई क्या होता है. यहां बहुत कुछ सीखा है और सरकार सब्सिडी भी दे रही है. विनोद ने कहा कि अब उसे लगता है कि मछली और मत्स्य बीज उत्पादन कर भी भविष्य बनाया जा सकता है.

राज्य के बाहर भी मत्स्य बीज की है मांग:राज्य भर में जहां मत्स्य बीज की भारी डिमांड है. वहीं, पड़ोसी राज्यों में भी इसकी अच्छी डिमांड है. अभी तक ज्यादातर मांग की पूर्ति पश्चिम बंगाल से की जाती थी. अब जब राज्य में बड़े पैमाने पर मत्स्य बीज का उत्पादन होने लगेगा तो पड़ोसी राज्य बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की मांग को भी पूरा करने में राज्य सक्षम होगा. इससे राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा तथा मत्स्य बीज उत्पादकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

Last Updated : Aug 11, 2023, 7:42 PM IST

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