रांचीः विश्व योग दिवस (International Yoga Day) के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. कोरोना की वजह से सभी कार्यक्रम ऑनलाइन तरीके से आयोजित हो रहे. लोग अपने-अपने घरों में योगासन कर योग दिवस को विशेष बना रहे. हम अपने दर्शकों को संगीत और योग दिवस (Music And Yoga Day) के विशेष अवसर पर संगीत और योग का मिश्रण बताने जा रहे. किस तरह योग और संगीत के मिश्रण से स्वास्थ्य लाभ होता है. इसकी जानकारी हम अपने इस रिपोर्ट के माध्यम से दे रहे हैं.
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ऑनलाइन आयोजित हो रहा योग दिवस
21 जून को प्रत्येक वर्ष विश्व योग दिवस (International Yoga Day) के रुप में मनाया जाता है. लेकिन पिछले दो साल से कोरोना के कारण योग दिवस विशेष को लेकर कोई वृहद रूप से आयोजन नहीं हो रहा. हालांकि ऑनलाइन तरीके से ही कई कार्यक्रम आयोजित कर योग दिवस को खास बनाने की हरसंभव कोशिश हो रही. इस वर्ष भी ऑनलाइन तरीके से लोग इस दिवस में एक साथ जुड़ रहे हैं, कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले रहे. दूसरी ओर अपने-अपने घरों में भी लोग योग के कई आसन कर योग दिवस मना रहे हैं.
ईटीवी भारत से योग और संगीत के शिक्षक अमित कुमार ठाकुर की खास बातचीत
संगीत और योग का मिश्रण 'नाद योग'
21 जून को विश्व योग दिवस (International Yoga Day) के साथ-साथ विश्व संगीत दिवस (International Music Day) भी मनाया जाता है. योग और संगीत (Yoga And Music) एक दूसरे के किस तरह पूरक हैं. इसकी पूरी जानकारी हम एक रिपोर्ट के माध्यम से अपने दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं. दरअसल संगीत और योग का अगर मिश्रण हो जाता है तब योग और भी फायदेमंद के साथ-साथ सेहत के लिए लाभकारी हो जाता है. योग में ऐसे ही कई आसान हैं, जो बिना संगीत के करना संभव नहीं है, इसी में से एक क्रिया है नाद योग.
नाद योग की जानकारी देते योग और म्यूजिक के शिक्षक अमित कुमार ठाकुर नाद योग या फिर इसे लय योग भी कहा जाता है. मन को एकाग्र करने के लिए साधक अपनी चेतना से संगीत के माध्यम से मन को शांत-चित्त करते है. नाद योग संगीत के बिना संभव नहीं है और संगीत के साथ-साथ योग का मिश्रण नाद योग को और प्रबल बनाता है.
नाद योग की जानकारी देते योग और म्यूजिक के शिक्षक अमित कुमार ठाकुर कई रोगों से मिलती है मुक्तिनाद योग के जरिए कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है. शरीर की तमाम व्याधियां दूर होती हैं. योग और संगीत के शिक्षक अमित कुमार ठाकुर ने बताया कि जिस तरह संगीत में सात स्वर होते हैं, ठीक उसी तरह योग में भी सात चक्र होते हैं. संगीत 'सा रे गा मा पा धा नि' से तैयार होता है. वहीं मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, अज्ञा जैसे चक्र से योग परिपूर्ण होता है. संगीत के साथ-साथ योग का काफी महत्व है और इस महत्व को पूरा करता है नाद योग. नाद योग के अभ्यास से मन की चंचलता मिटने लगती है और एकाग्रता बढ़ने लगती है. नाद योग में शरीर के चक्र जागृत होते हैं और ध्वनियों का अनुभव होता है. इसी वजह से कहा गया है कि नाद योग संगीत और योग का मिश्रण है.