झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

अध्यक्ष और सदस्यों की कमी से जूझ रहा झारखंड महिला आयोग, तीन हजार से ज्यादा मामले हैं पेंडिंग

झारखंड महिला आयोग बिना अध्यक्ष और सचिव के पिछले 1 वर्ष से चल रहा है. ऐसे में पीड़ित महिलाओं को इंसाफ मिलने में देरी हो रही है. साथ ही आयोग में कार्यरत कर्मचारियों को 1 वर्ष से वेतन भी नहीं मिला है. आयोग में लंबित मामलों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है

महिला आयोग
महिला आयोग

By

Published : Jun 11, 2021, 3:52 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 2:58 PM IST

रांचीःझारखंड में महिला सशक्तिकरण पर भले ही बड़ी-बड़ी बात की जाती हो मगर हकीकत यह है कि पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने वाला आयोग खुद सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है. राज्य महिला आयोग पिछले 1 वर्ष से बिना अध्यक्ष और सचिव के चल रहा है. पिछले एक साल से यहां किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है.

सूना पड़ा दफ्तर

झारखंड सरकार के अधीन चलने वाला वही राज्य महिला आयोग जहां पीड़ित महिलाओं की फरियाद की सुनवाई होती थी. मगर आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण का कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछले एक वर्ष से आयोग में ना तो सुनवाई हो रही है और ना ही कोई काम

देखें वीडियो

जिसके कारण महिला आयोग में 3,174 मामले लंबित पड़़े हैं. आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा 5 सदस्यों के पद सृजित हैं जो मनोनयन के आधार पर नियुक्त किये जाते हैं.

बदहाली का आलम यह है कि राज्य महिला आयोग में कार्यरत कर्मियों को पिछले एक वर्ष से फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है. दरअसल आयोग के नियमानुसार अध्यक्ष या महिला सचिव को वित्तीय अधिकार हैं जिससे वेतन या अन्य मद की निकासी हो सकती है.

ऐसे में अध्यक्ष और सचिव विहीन राज्य महिला आयोग के कर्मी अध्यक्ष के मनोनयन की आस में टकटकी लगाये बैठे हैं. राज्य महिला आयोग में कार्यरत महिला होमगार्ड जवान संगीता लकड़ा ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कही कि एक वर्ष से पैसा नहीं मिलने से वे किसी तरह गुजारा कर रहीं हैं.

आश्चर्य की बात यह है कि आयोग में मात्र एक अवर सचिव पदस्थ है जो प्रभार में हैं वहीं14 अनुबंध पर कार्यरत कर्मी हैं और 3 दैनिक मजदूरी वाले स्टाफ हैं.

बदहाल आयोग पर बीजेपी ने कसा तंज

इधर राज्य महिला आयोग की बदहाल स्थिति पर बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर ने नाराजगी जताते हुए सरकार से अतिशीघ्र आयोग को पुर्नजीवित करने की मांग की है.

आरती कुजूर ने सरकार के उदासीन रवैए पर हमला बोलते हुए कहा कि बाल संरक्षण और महिला आयोग दोनों बदहाल हैं और सरकार चुप बैठी है जिसके कारण पीड़ित महिलाएं न्याय के लिए भटक रही हैं और उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

सरकार ने बनाया कोरोना का बहाना

ईटीवी भारत ने जब महिला आयोग की बदहाल स्थिति से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को अवगत कराया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कोरोना के कारण जिस रफ्तार में काम होना चाहिए वो नहीं हो पा रहा है लेकिन हम लोग प्रयासरत हैं कि आयोग या अन्य खाली जगहों को भरा जाय.

राज्य सरकार के अधीन विभिन्न आयोग और बोर्ड निगमों में बड़ी संख्या में पद लंबे समय से खाली हैं जिसके पीछे सत्तारूढ़ दल कांग्रेस झामुमो और राजद में समन्वय न होने की मुख्य वजह बतायी जा रही है.

कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने भी किया था प्रयास

गतिरोध को दूर करने के लिए कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने प्रयास भी किया था मगर कोरोना की दूसरी लहर ने इस अड़चन को सुलझाने में बाधा पहुंचाने का काम किया है.

जानकारी के मुताबिक महिला आयोग सहित अन्य आयोग और बोर्ड निगमों में मनोनयन सरकार एक साथ करने की तैयारी में है जिसके लिए संचिका मुख्यमंत्री के समक्ष है. संभावना यह जताई जा रही है कि परिस्थितियां बदलते ही इस पर सरकार कुछ फैसला ले.

Last Updated : Jun 12, 2021, 2:58 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details