रांचीःझारखंड में महिला सशक्तिकरण पर भले ही बड़ी-बड़ी बात की जाती हो मगर हकीकत यह है कि पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने वाला आयोग खुद सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है. राज्य महिला आयोग पिछले 1 वर्ष से बिना अध्यक्ष और सचिव के चल रहा है. पिछले एक साल से यहां किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है.
सूना पड़ा दफ्तर
झारखंड सरकार के अधीन चलने वाला वही राज्य महिला आयोग जहां पीड़ित महिलाओं की फरियाद की सुनवाई होती थी. मगर आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण का कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछले एक वर्ष से आयोग में ना तो सुनवाई हो रही है और ना ही कोई काम
जिसके कारण महिला आयोग में 3,174 मामले लंबित पड़़े हैं. आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा 5 सदस्यों के पद सृजित हैं जो मनोनयन के आधार पर नियुक्त किये जाते हैं.
बदहाली का आलम यह है कि राज्य महिला आयोग में कार्यरत कर्मियों को पिछले एक वर्ष से फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है. दरअसल आयोग के नियमानुसार अध्यक्ष या महिला सचिव को वित्तीय अधिकार हैं जिससे वेतन या अन्य मद की निकासी हो सकती है.
ऐसे में अध्यक्ष और सचिव विहीन राज्य महिला आयोग के कर्मी अध्यक्ष के मनोनयन की आस में टकटकी लगाये बैठे हैं. राज्य महिला आयोग में कार्यरत महिला होमगार्ड जवान संगीता लकड़ा ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कही कि एक वर्ष से पैसा नहीं मिलने से वे किसी तरह गुजारा कर रहीं हैं.
आश्चर्य की बात यह है कि आयोग में मात्र एक अवर सचिव पदस्थ है जो प्रभार में हैं वहीं14 अनुबंध पर कार्यरत कर्मी हैं और 3 दैनिक मजदूरी वाले स्टाफ हैं.
बदहाल आयोग पर बीजेपी ने कसा तंज