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झारखंड के विकास का नया जोहार है महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश- 50 फीसदी आबादी से 100 फीसदी विकास वाला मंत्र

मेरे शरीर में बहने वाला खून झारखंड का है. 26 फीसदी आदिवासी वाले इस राज्य में 50 फीसदी महिलाएं हैं. विश्व स्तर पर झारखंड की बेटियों ने अपना परचम लहरा रखा है. अगर 50 फीसदी महिलाओं ने मिलकर झारखंड को विकास की रफ्तार देकर दौड़ा दिया तो भारत विश्व गुरु बन जाएगा. महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने तीन दिनों के दौरे पर झारखंड को विकास का जो हौसला देकर गईं हैं अगर उसकी एक लकीर भी खींची गई तो बदलाव का हर रंग विकास लिए पूरे विश्व में जोहार का जयकारा लगवा लेगा.

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Published : May 26, 2023, 8:36 PM IST

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रांची: महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के झारखंड के 3 दिन के दौरे ने विकास की राह पर झारखंड को ले जाने के नए आयाम की कई कड़ियों को जोड़ दिया. परेशानियां कभी भी विकास की राह में इतना भी बड़ा रोड़ा नहीं है जिसे जीता न जा सके. जिन मुद्दों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सार्वजनिक मंच से लोगों के बीच रखा वह निश्चित तौर पर अगर राजनीति से अलग हटकर विकास के लिए कर दिया जाए तो झारखंड बुलंदी की नई ऊंचाई पर जा सकता है. क्योंकि ऊंचाई पर जाने के लिए हर झारखंड वासी के शरीर में बहने वाला खून विकास को जोड़कर चलता है. विकास के इसी एहसास को झारखंड के हर आम अवाम को आत्मसात करने की कोशिश के संदेश दे गई देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू.

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महिलाओं के जिस कार्यक्रम में राष्ट्रपति खूंटी में शामिल हुई थी उसमें उन्होंने झारखंड के विकास को दिशा देने वाली ऐसी बात को रखा जो निश्चित तौर पर पूरे विश्व में नए तौर पर खड़े हुए भारत की एक बड़ी कहानी है. यह कहानी जो सिर्फ और सिर्फ संघर्ष के मजबूत इरादे से ही बन सकती है. इसके लिए न तो कोई शॉर्टकट रास्ता है और ना ही कोई दूसरा विकल्प. महिलाओं के स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए सामानों को देखते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन महिलाओं से पूछा था कि क्या इससे कुछ कमाई होती है. उन महिलाओं ने जवाब दिया कि खर्च भी निकल जाता है और कुछ पैसे बैंक में भी जमा होते हैं.

यह प्रश्न उन महिलाओं की कमाई से है, यह बात उन महिलाओं की है, यह बात उस समाज की महिलाओं से जुड़ी है, जिन लोगों के लिए 2 जून की रोटी के जद्दोजहद में जिंदगी को कुर्बान कर देने वाली तक की कहानी है. अपने बाल्यकाल के बारे में बताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि हम जब छोटे थे तो 2 बजे रात से हमें महुआ चुनने के लिए जाना होता था और जब हमारे पास खाना नहीं होता था तो महुआ को गर्म करके हम खा लेते थे और यही हमारे जीवन की दिनचर्या हुआ करती थी.

राष्ट्रपति की यह बातें निश्चित तौर पर उन तमाम लोगों के लिए हौसला देने वाली हैं. वे जो संसाधन का हवाला देकर के हिम्मत से मेहनत करने के बजाय थक हार कर बैठ जाते हैं. जो लोग महुआ खाकर के दिन बिताते थे आज वह देश की राष्ट्रपति हैं. उन्होंने इस चीज को बताने में न तो कोई गुरेज किया और ना ही इस तरह का कोई इसे किस रुप में लिया जाएगा. लेकिन झारखंड जैसे आदिवासी राज्य के लिए यह किसी विकास की धारा बहाने वाली किसी धरोहर से कम नहीं है. जिन शब्दों को संजो कर के रख लेना झारखंड के विकास की गौरव गाथा लिख सकता है. झारखंड विकास के ऐसे बुलंदी पर जा सकता है जिसकी कल्पना शायद किसी ने किया ही नहीं हो.

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महुआ को गर्म कर खा कर जीवन जीने की जद्दोजहद से राष्ट्रपति बनने तक का सफर द्रौपदी मुर्मू ने तय किया है. उन्होंने कहा कि अब तो महुआ से केक बनने लगा है. महुआ से बिस्किट बनने लगा है, तो यह समझा जा सकता है कि हम विकास के किस राह पर चले गए हैं. महिलाएं देश के विकास में भागीदार हैं यह सभी लोगों को पता है. राजनीति में आरक्षण और जाति को भजा लेने की जो कवायद चल रही है उस पर भी द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राजनीति और झारखंड के राजनेताओं को एक नई दिशा देकर चली गई है जो कम से कम ईमान वाली राजनीति के साथ जुड़ा हुआ है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का साफ तौर पर कहना था कि लोग कहते हैं कि आदिवासी राज्य है. मान लिया कि यहां पर 26 फ़ीसदी आबादी आदिवासियों की है. लेकिन यह भी मान कर के चलिए यहां आधी आबादी महिलाओं की है. विकास का नया मापदंड तैयार कर रहे झारखंड के लिए यह किसी नीतियों के मार्गदर्शक से कम नहीं है जो झारखंड के विकास के लिए बनाई जा रही हैं. महिलाओं के विकास की अवधारणा अगर खड़ी कर दी गई तो झारखंड बदलाव के उस मुहाने पर खड़ा हो जाएगा जहां से शायद पीछे मुड़ कर देखना जरूरी नहीं होगा.

महिलाओं के जिस आत्मनिर्भरता की बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की है वह निश्चित तौर पर झारखंड में रोजगार के लिए है. झारखंड में आधी आबादी रोजगार को अपने हाथों से पैदा करने लगी तो झारखंड की सबसे बड़ी परेशानी पलायन रुक जाएगी. अगर झारखंड से पलायन रुकता है तो या झारखंड के विकास में और ज्यादा मददगार साबित होगा. पलायन शिक्षा व्यवस्था के लिए अभिशाप बन गया है.

महिलाओं की चर्चा इस सदी में करना लाजमी भी है क्योंकि जिस तरीके से महिलाओं ने अपना परचम लहराया है. इस बात की चर्चा एकदम जरूरी है. महिलाओं के हक और अधिकार के लिए कम से कम उन्हें वंचित समाज के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. 2022 के यूपीएससी के जिस तरीके से परिणाम आए हैं वह अपने आप में सोचने को विवश करता है कि महिलाओं के आयाम कहां है.

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JAC में लड़कियों ने जिस तरीके से रिजल्ट दिया है, वह भी अपने आप में झारखंड जैसे राज्य के लिए किसी सुहाने सपने से कम नहीं है. झारखंड के खिलाड़ी बेटियों ने विश्व स्तर पर जिस तरीके से भारत का मान बढ़ाया है यह भी बहुत बड़े अभिमान की बात है. संसाधन इनके पास कितना रहा है इस के विवाद में जाने के बजाय इस बात पर विचार करिए कि राजनेता अपने खुद गिरेबान में झांक कर के देखें कि जिन लोगों ने इतने बड़े फलक पर नाम किया है उसमें इनकी भूमिका और भागीदारी क्या रही है .

राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाली एक लड़की के परिवार की बात जब आती है तो उनके घर तक रास्ता नहीं होता है और जब रास्ता बनने की बात होती है तो उनके माता-पिता उस रास्ते को बनाने में मजदूरी करते हैं जो उनके विकास और सरकार के कामकाज का असली चेहरा होता है. राजनीति कर रहे लोगों के चेहरे की असली हकीकत.

बात यहीं तक नहीं रुकी है महिलाओं के विकास की कहानी झारखंड में कितनी बड़ी है इसका उदाहरण अपने आप में खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू है. द्रौपदी मुर्मू ने कहा जिस घर में आदिवासी कल्याण मंत्री की शादी हुई है उसी घर कि मेरी पैदाइश है. मेरी दादी का मायका यहीं है और मेरे रगों में झारखंड का खून बहता है.

यह झारखंड के लिए इतराने से झूमने और मचल जाने से कम नहीं है, कि जिस स्क्रिप्ट को हर मंच से देश के सर्वोच्च पद पर बैठी महामहिम राष्ट्रपति ने झारखंड के लिए गढ़ दिए अब उसके मान और उसके सम्मान की रक्षा करना राजनेताओं के हाथ में है. नीति निर्माताओं के हाथ में है. वैसे लोगों के हाथ में है जो झारखंड की पहरेदारी कर रहे हैं निगरानी कर रहे हैं जिम्मेदारी ले रखे हैं.

महिला विकास की कहानी यहीं पर नहीं रुकी. कहने के लिए बहुत सारी चीजें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कह दी है. हां एक बात जरूर उन्होंने कहा है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो काम करना है उस पर तेजी से काम करने की जरूरत है. ताकि आज जहां झारखंड खड़ा हुआ है उसको और रफ्तार मिले. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस बयान के बाद राजनेता अपने गिरेबान में झांक कर देख ले उसमें वह क्या कर रहे हैं. क्योंकि विवादों में झारखंड जमीन के मामले में बहुत है, और जमीन पर भी विवाद के बहुत सारे मामले हैं. इसे भी झारखंड की राजनीति और सियासतदानों को समझना होगा कि पक्ष तो विकास लेना होगा तभी निष्पक्ष विकास आबा धरती को धरातल पर उतरेगा.

इस सफर का एक बड़ा सच यह भी है कि महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई और उन्हें घर चलाने का पैसा मिल गया तो शैक्षणिक दृष्टिकोण से झारखंड के हर घर तक शिक्षा की अलख जगाने लगेगी. फिर वह दिन दूर नहीं जब आदिवासी कह कर किसी को ठग लिया जाए या गरीब कह कर उसकी जमीन खरीद ली जाए इन तमाम चीजों पर रोक लग जाएगा. शायद यह झारखंड के विकास की सबसे बड़ी कहानी होगी.

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3 दिन के दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के लिए देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट को जनता को समर्पित कर दिया. हाईकोर्ट जो यह बताता है कि न्याय की बहुत मजबूत बिल्डिंग झारखंड में खड़ी हो गई है. जरूरत इस बात की भी है कि न्याय का आईना भी काफी बेहतर हो जिससे न्याय मिलने की उम्मीद साफ साफ दिखे.

देश के मुख्य न्यायाधीश ने मंच से यह कह दिया कि जो अदालतें हैं जो कचहरी है उनमें महिलाओं के लिए क्या व्यवस्था है इसे भी देखना होगा. महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था होना यह एक साइन है महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए. पहले यह कहा जाता था कि महिलाएं अगर कोर्ट में जाएंगी तो उन्हें पूछेगा कौन, महिलाएं कोर्ट में जाएंगी तो जानेगी क्या, महिलाएं अगर कोर्ट में जाएगी तो उनकी समझ में क्या आएगा.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने जिस शौचालय की बात कही है वह बुनियाद की वह बात है जो महिलाओं के सबसे बड़े सम्मान के साथ जुड़ी हुई है. न्याय की सबसे बड़ी भाषा भी यही है जो अपने संकेतिक इच्छा में देश के मुख्य न्यायाधीश ने कह दिया और यह सारी बातें झारखंड से मंच से हुई है. संभव है कि झारखंड के मंच से कही गई बातें दूर तक जाएगी इसके परिणाम भी बड़े आएंगे.

महिला अस्मिता और महिला सम्मान की जिस बुनियाद को झारखंड में रखा है और देश के सर्वोच्च पद पर बैठी महिला को झारखंड ने अपनी गोद से निकाल कर दिया है. जरूरत इस बात की है झारखंड के हर आंगन में इतनी हरियाली आ जाए कि विकास का नया आयाम झारखंड में दिखने लगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने 3 दिन के दौरे में अगले 30 साल के झारखंड के विकास के इबादत की कहानी बता दी है.

अब देखना है कि राजनीति का इरादा और करने का नजरिया क्या होता है. क्योंकि झारखंड में जो बातें कही गई हैं अगर इसे मंच की एक बात कह कर के छोड़ दिया जाए तो फिर आगे बहुत कुछ कह पाना मुश्किल होगा. लेकिन अगर इस पर थोड़ा भी अमल कर लिया जाए तो विकास की रफ्तार नई तेजी पकड़ लेगी.


विकास का नजरिया रंग लेने लगा तो गांधी के सपनों का भारत, गांव से समृद्ध होकर सोने की चिड़िया बनने वाला भारत, और पूरे विश्व फलक पर विश्व गुरु बनने वाला भारत बनकर रहेगा. और आगे बढ़ने वाले इस भारत को रोकने की हिम्मत और हैसियत किसी में नहीं होगी. जरूरत इस बात की है कि जो बातें रखी गई है उसे पूरा करने की कम से कम एक ईमानदारी कोशिश आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर तमाम राजनेता अधिकारी और समाज का हर संपन्न पक्का उठा ले तो झारखंड की तदबीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी.

जय जोहार.....

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