रांची: राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में आपदा प्रबंधन के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ स्टेट कैबिनेट से पास किया गया. झारखंड राज्य संक्रामक रोग अध्यादेश, 2020 पर अभी तक गवर्नर की स्वीकृति नहीं मिली है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो कैबिनेट से अप्रूवल मिलने के बाद अध्यादेश गवर्नर द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के लिए उनके वास भेज गया है. फिलहाल यह बिल राजभवन में है. वहीं राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार अध्यादेश के विभिन्न बिंदुओं की समीक्षा की जा रही है.
क्या है राज्य संक्रामक रोग अध्यादेश
अध्यादेश में कोविड-19 के तहत विभिन्न प्रावधानों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ अधिकतम 2 साल की सजा और अधिकतम 1 लाख रुपये तक के फाइन का प्रावधान किया गया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभी तक राज्य में ऐसा कोई कड़ा कानून नहीं था, जिससे संक्रामक रोग के प्रसार के दौरान सरकार के डायरेक्शन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सके. इस अध्यादेश के प्रावधान के अनुसार मास्क नहीं लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं करने समेत अन्य नियमों के उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान किया गया है.
दंड और सजा के प्रावधान पर हुआ है विरोध
दरअसल अध्यादेश में नियमों के उल्लंघन को लेकर अर्थदंड और सजा के प्रावधान पर प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने आपत्ति दर्ज की है. पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि अधिकतम एक लाख रुपये तक का अर्थदंड हिटलर शाही कानून जैसा लगता है. ऐसे में राज्यपाल को भी निर्णय लेने से पहले विचार करना चाहिए. इस बाबत बीजेपी ने गवर्नर को पत्र भी लिखा है.
रांची: संक्रामक रोग अध्यादेश को लेकर अभी भी तस्वीर नहीं है साफ, राज्यपाल से मंजूरी मिलना बाकी - झारखंड राज्य संक्रामक रोग अध्यादेश की स्वीकृति
रांची में संक्रामक रोग अध्यादेश को लेकर अभी भी कुछ साफ नहीं हो पाया है. इसको लेकर झारखंड राज्य संक्रामक रोग अध्यादेश, 2020 पर अभी तक गवर्नर की स्वीकृति नहीं मिली है. बता दें कि अध्यादेश गवर्नर द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के लिए उनके वास भेजा गया है.
मास्क के अल्टरनेटिव के रूप में गमछा या रुमाल का होना चाहिए इस्तेमाल
बीजेपी ने कहा कि सरकार को मास्क के लिए दबाव न बनाकर खुद से बनाए हुए फेस कवर अथवा गमछा, तौलिया, रुमाल से चेहरे को ढक कर बाहर निकलने के लिए प्रेरित करना चाहिए. बीजेपी ने साफ कहा कि इस मामले में सरकार को सोच समझकर फैसला कर्ण करना चाहिए.
गवर्नर से मिले स्वीकृति
दरअसल कैबिनेट से पास होने के बाद अध्यादेश पर गवर्नर की स्वीकृति मिलनी जरूरी है. चूंकि विधानसभा फिलहाल नहीं चल रही है, ऐसे में गवर्नर से स्वीकृति मिलने के बाद अध्यादेश का गजट नोटिफिकेशन कर इसे कानून में परिणत किया जा सकता है. जबतक गवर्नर इस पर अपनी सहमति नहीं देंगी, तब तक यह अध्यादेश मान्य नहीं होगा.