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बिजली को लेकर त्राहिमाम: झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का अल्टीमेटम, सरकार बिजली दे नहीं तो बंद हो जाएंगे छोटे उद्योग

बिजली की किल्लत के कारण त्राहिमाम मचा हुआ है (Power crisis in Jharkhand). झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने बिजली की किल्लत पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि सरकार बिजली दे नहीं तो स्मॉल इंडस्ट्रीज बंद हो जायेंगी.

Jharkhand Small Industries Association warns government about power crisis
Jharkhand Small Industries Association warns government about power crisis

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Published : Dec 2, 2022, 7:37 PM IST

रांची: कोकर स्थित झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Jharkhand Small Industries Association) कार्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए एसोसिएशन अध्यक्ष अंजन पचेरिवाला ने कहा कि बिजली की कमी (Power crisis in Jharkhand) के कारण लघु उद्योग बंद होने के कगार पर है. राज्यभर में 25 हजार स्मॉल इंडस्ट्रीज हैं जिन्हें बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है. हालत यह है कि रांची जैसे राजधानी क्षेत्र में जेनरेटर के भरोसे स्मॉल इंडस्ट्रीज का काम चल रहा है. ऐसे में कितना दिन हम लघु उद्योग को चला पायेंगे यह समझना होगा. हम बाजार की मांग को पूरा करने के लिए जेनरेटर का सहारा लेते हैं जिसके कारण लागत खर्च चार गुणा बढ जाता है.

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जेबीवीएनएल बन चूका है सफेद हाथी:जेबीवीएनएल के कामकाज पर नाराजगी जताते हुए एसोसिएशन अध्यक्ष अंजन पचेरिवाला (Anjan Pacheriwala) ने कहा कि डीवीसी एवं जुस्को आदि के द्वारा बिजली ठीकठाक दी जा रही है, मगर जेबीवीएनएल की स्थिति बेहद ही खराब है. शहर की बात तो दूर ग्रामीण क्षेत्र की भी स्थिति और भी ज्यादा भयावह है. बिजली के अभाव में ग्रामीण रोजगार के साधन निरंतर कम हो रहे हैं और लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. डीवीसी में जहां पावर लॉस डेढ प्रतिशत है जबकि हमारा जेबीवीएनएल का पावर लॉस 15 प्रतिशत के करीब है. जिस वजह से अब तक पचास हजार करोड़ की क्षति हो चुकी है.

झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन अध्यक्ष अंजन पचेरिवाला

सरकार से इस समस्या का गंभीरता से समाधान करने की मांग करते हुए एसोसिएशन ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि यही स्थिति रही तो निवेशक कैसे झारखंड आयेंगे यह सोचना होगा. एक तरफ मुख्यमंत्री रोड शो कर निवेशक को आकर्षित करने में लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर बिजली जो किसी भी इंडस्ट्री के लिए बैकबोन होता है वही झारखंड में नहीं मिल पा रहा है. जेबीवीएनएल के भरोसे राज्य का विकास असंभव है. एसोसिएशन का मानना है कि विद्युत व्यवस्था को पेशेवर यानी प्रोफेशनल के हाथों में सौंप दिया जाए जिससे वार्षिक 1500 करोड़ रुपए का नुकसान बंद हो जाएगा और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली भी मिलेगी और निर्बाध बिजली व्यवस्था का सपना राज्य में साकार होगा.बिजली मिलेगी तो नए रोजगार के साधन आएंगे राज्य का राजस्व बढ़ेगा और चौतरफा विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.

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