रांची: राज्य में रोजगार सृजन, उद्योगों की स्थापना और विकास करने के मकसद से साल 2017 में मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसके माध्यम से देश और विदेश के उद्योगपतियों को झारखंड में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. उन्हें बताने की कोशिश की गई कि यहां निवेश करने पर सरकार सभी तरह की सहूलियत देगी. सरकार की तरफ से अरबों रुपए के निवेश का दावा भी किया गया.
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन
16-17 फरवरी 2017 को रांची के खेल गांव में दो दिवसीय ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया. इसमें कई केंद्रीय मंत्री, रतन टाटा, कुमारमंगलम बिड़ला, नवीन जिंदल समेत देश-विदेश से कई बड़े उद्योगपति आए. इस कार्यक्रम में 3 लाख 11 हजार करोड़ से अधिक के एमओयू हुए. इस कार्यक्रम का दूसरा फेज जमशेदपुर में 19 अगस्त 2017 को आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार ने 2100 करोड़ का निवेश करने वाली कंपनी को जमीन दी. तीसरे फेज का कार्यक्रम बोकारो में हुआ. 20 दिसंबर 2017 को बोकारो में सौ से अधिक कंपनियों के साथ 3400 करोड़ से अधिक के निवेश का एमओयू हुआ.
तीन फेज में मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम ये भी पढ़ें-झारखंड घोटाला कथा: ...तो क्या एक और पूर्व मुख्यमंत्री की जेल यात्रा की लिखी जा रही है स्क्रिप्ट
घोटाला का आरोप
मोमेंटम झारखंड के नाम पर आम लोगों के पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगाकर मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की गई. शिकायतकर्ता का आरोप है कि कार्यक्रमों के नाम पर सौ करोड़ से अधिक रुपए की बर्बादी की गई है. आरोप के मुताबिक फरवरी 2017 में रांची में हुए आयोजन में साढे़ आठ करोड़ रुपए का बजट था जिसे बढ़ा कर 16 करोड़ 94 लाख कर दिया गया. बाद में फिर उस बजट को बढ़ाकर सौ करोड़ कर दिया गया. इसके अलावा अरबों रुपए निवेश के दावा भी सही नहीं है.
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कैसे हुआ राशि का दुरुपयोग
रांची में गलत तरीके से आयोजन के बजट को 100 करोड़ कर दिया गया. कैबिनेट से इसकी सहमति नहीं ली गई थी. इसमें आयोजन के नाम पर बड़े पैमाने पर पैसों की बंदरबांट के आरोप हैं. इसके साथ ही देश-विदेश में कई जगहों पर रोड शो का आयोजन किया गया. इसके अलावा ब्रांडिंग, सिक्योरिटी, बीमा, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के नामपर 10 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हुए. मोमेंटम झारखंड में निवेशकों को लाने और ले जाने के लिए स्पेशल चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था की गई थी. लेकिन इसमें 90 प्रतिशत सीट खाली रही क्योंकि अधिकतर निवेशक अपने चार्टर्ड प्लेन से आए.
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इन पर है आरोप
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, तत्कालीन मुख्य सचिव राजवाला वर्मा, तत्कालीन उद्योग सचिव के रवि कुमार, आयोजन समिति के राहुल सिंह, सीएम के तत्कालीन प्रधान सचिव संजय कुमार, सुनील कुमार वर्णवाल और सुमित कुमार पर सरकारी पैसों के दुरुपयोग के आरोप हैं. राज्य के बड़े अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने राजनेताओं और मुख्यमंत्री को कई मामलों में अंधेरे में रखा. लैंड बैंक बनाकर सरकार की तरफ से उद्योगपतियों को जमीन देने की बात भी सही नहीं पाई गई है.
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एसीबी के पास जांच
अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से हाई कोर्ट में पीआईएल की गई थी. हाई कोर्ट ने शिकायतकर्ता को एसीबी के पास जाने को कहा था. एसीबी ने शिकायत दर्ज कर सरकार से अनुमति मांगी. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद जब सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ तब शिकायतकर्ता एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंचे और कहा कि एक साल बाद भी एसीबी की ओर से आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.