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झारखंड घोटाला कथा: 34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में अधिकारी और नेता डकार गए 30 करोड़ से अधिक रुपए, जानिए कैसे

झारखंड में साल 2011 में 12 फरवरी से 26 फरवरी तक 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन किया गया. इस 15 दिवसीय आयोजन में देशभर के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. झारखंड में इस आयोजन की तैयारी चार साल से चल रही थी. झारखंड में इस तरह का यह पहला बड़ा आयोजन था. लेकिन इसमें करोड़ों के घोटाले की बात सामने आई.

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Published : Sep 6, 2021, 6:03 AM IST

रांची: 2007 में गुवाहाटी में 33वें राष्ट्रीय खेल के समापन के साथ ही झारखंड में 34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन की तैयारी शुरू हो गई. 2008 में झारखंड के रांची में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन होना था, लेकिन अलग-अलग कारणों से झारखंड में इस खेल का आयोजन 6 बार टालना पड़ा. अंतत: 2011 के फरवरी में झारखंड के रांची और धनबाद जिले में इस खेल का आयोजन हुआ. इस खेल के आयोजन की तैयारी में तकरीबन चार साल लग गए.

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रांची में खेल गांव का निर्माण

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन के लिए तत्कालीन सरकार ने एक आयोजन समिति बनाई, जिसमें आरके आनंद को अध्यक्ष और पीसी मिश्रा को निदेशक बनाया गया. इस आयोजन समिति में एसएम हाशमी को महासचिव और मधुकांत पाठक को कोषाध्यक्ष बनाया गया. झारखंड सरकार ने इस आयोजन को एक अवसर के तौर पर लिया. इस आयोजन के लिए रांची में एक खेल गांव का निर्माण कराया गया. जहां एक ही कैंपस में कई तरह के खेलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले स्टेडियम और खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया. रांची के साथ-साथ धनबाद में भी कुछ खेलों का आयोजन किया गया ताकि धनबाद शहर में भी इसी बहाने विकास के काम हो जाए. इतने बड़े आयोजन में अरबों रुपए खर्च हुए. इन्हीं अरबों रुपए में से करोड़ों का घोटाला भी हो गया.

कैसे हुआ घोटाला

करोड़ों का घोटाला

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में जरूरत से अधिक खेल सामग्री की खरीद हुई. वह भी कई खेल सामग्री की कीमत बाजार भाव से कहीं अधिक थी. खेल सामग्री की खरीद के लिए जो टेंडर निकाले गए, उसमें भी गड़बड़ी की बात सामने आई. खेल सामग्री खरीद में लगभग 28.34 करोड़ रुपए की हेराफेरी होने की बात कही गई. इतना ही नहीं आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद को राज्य मंत्री का दर्जा था, इस लिहाज से उनके रांची आगमन पर राजकीय अतिथिशाला में ठहरने, कहीं आने जाने के लिए परिवहन और सुरक्षा की व्यवस्था थी. लेकिन आरके आनंद गेस्ट हाउस में ठहरने के बजाए रांची के बड़े होटलों में ठहरते थे, जिस पर हुए खर्च को भी आयोजन में जोड़ दिया गया. उनके होटलों में ठहरने का बिल लगभग 10 लाख रुपए का था.

कौन-कौन हैं आरोपी

इन्हें बनाया गया आरोपी

34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले की जांच खेल होने से पहले से ही शुरू हो गई. 2010 में ही एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. इस घोटाले में आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद, निदेशक पीसी मिश्रा, महासचिव एसएम हाशमी, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक को आरोपी बनाया गया. तत्कालीन खेल मंत्री बंधु तिर्की को भी 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला में आरोपी बनाया गया. फिहलाल ये सभी जमानत पर हैं. इनके आलावा सुविमल मुखोपाध्याय, एचएल दास, प्रेम कुमार चौधरी, सुकदेव गांधी और अजीत जोइस को अप्राथमिक आरोपी बनाया गया था. एचएल दास ने हाल ही में कोर्ट में सरेंडर किया है.

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बंधु तिर्की पर आरोप

पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्ही की सहमति से धनबाद स्क्वैश कोर्ट के निर्माण का जिम्मा मुंबई की एक कंपनी को दिया गया था. कंपनी की तरफ से धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण के लिए एक करोड़ 44 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाकर दिया गया था, जिस फाइल पर खेल मंत्री रहते हुए बंधु तिर्की ने साइन किया था.

क्या है वर्तमान स्थिति

इन पर आरोप तय

आरके आनंद, बंधु तिर्की, पीसी मिश्रा, एसएम हाशमी पर एसीबी जांच में आरोप सही पाए गए और सरकार की सहमति पर इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया जा चुका है. फिलहाल इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है. कुछ दिन पहले ही झारखंड हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने के आरके आनंद की अर्जी को खारिज कर दिया. कोर्ट ने मुख्य आरोपी आरके आनंद की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी है. 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले की सुनवाई फिलहाल एसीबी कोर्ट में चल रही है.

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