रांची: 2007 में गुवाहाटी में 33वें राष्ट्रीय खेल के समापन के साथ ही झारखंड में 34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन की तैयारी शुरू हो गई. 2008 में झारखंड के रांची में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन होना था, लेकिन अलग-अलग कारणों से झारखंड में इस खेल का आयोजन 6 बार टालना पड़ा. अंतत: 2011 के फरवरी में झारखंड के रांची और धनबाद जिले में इस खेल का आयोजन हुआ. इस खेल के आयोजन की तैयारी में तकरीबन चार साल लग गए.
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रांची में खेल गांव का निर्माण
34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन के लिए तत्कालीन सरकार ने एक आयोजन समिति बनाई, जिसमें आरके आनंद को अध्यक्ष और पीसी मिश्रा को निदेशक बनाया गया. इस आयोजन समिति में एसएम हाशमी को महासचिव और मधुकांत पाठक को कोषाध्यक्ष बनाया गया. झारखंड सरकार ने इस आयोजन को एक अवसर के तौर पर लिया. इस आयोजन के लिए रांची में एक खेल गांव का निर्माण कराया गया. जहां एक ही कैंपस में कई तरह के खेलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले स्टेडियम और खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया. रांची के साथ-साथ धनबाद में भी कुछ खेलों का आयोजन किया गया ताकि धनबाद शहर में भी इसी बहाने विकास के काम हो जाए. इतने बड़े आयोजन में अरबों रुपए खर्च हुए. इन्हीं अरबों रुपए में से करोड़ों का घोटाला भी हो गया.
करोड़ों का घोटाला
34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में जरूरत से अधिक खेल सामग्री की खरीद हुई. वह भी कई खेल सामग्री की कीमत बाजार भाव से कहीं अधिक थी. खेल सामग्री की खरीद के लिए जो टेंडर निकाले गए, उसमें भी गड़बड़ी की बात सामने आई. खेल सामग्री खरीद में लगभग 28.34 करोड़ रुपए की हेराफेरी होने की बात कही गई. इतना ही नहीं आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद को राज्य मंत्री का दर्जा था, इस लिहाज से उनके रांची आगमन पर राजकीय अतिथिशाला में ठहरने, कहीं आने जाने के लिए परिवहन और सुरक्षा की व्यवस्था थी. लेकिन आरके आनंद गेस्ट हाउस में ठहरने के बजाए रांची के बड़े होटलों में ठहरते थे, जिस पर हुए खर्च को भी आयोजन में जोड़ दिया गया. उनके होटलों में ठहरने का बिल लगभग 10 लाख रुपए का था.