रांची: पिछले कुछ महीनों से झारखंड की सियासत संथाल शिफ्ट (Jharkhand politics regarding Santhal) हुई नजर आ रही है. राज्य के दो बड़े दल जेएमएम और बीजेपी दोनों ने यहां अपना फोकस कर रखा है. स्थानीय नीति की घोषणा के बाद तो बाबूलाल मरांडी ने वहां डेरा डाल रखा है. वहीं पिछले दो दिनों से हेमंत सोरेन भी वहीं है. दोनों नेता अपने-अपने तरीके से जनता से मिल रहे हैं और उनका नब्ज टटोल रहे हैं.
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1932 वाले खतियान को स्थानीयता का आधार बनाकर हेमंत सोरेन ने झारखंड की सियासत में एक नए राजनीतिक परिसीमन को लाकर खड़ा कर दिया है. 1932 वाले खतियान आधारित स्थानीय नीति झारखंड की राजनीति में राजनीतिक दलों के बीच हलचल मचा रखी है. वहीं 1932 के आधार पर तय की गई स्थानीयता की राजनीति से होने वाले राजनीतिक फायदे और नुकसान का गुणा गणित का समीकरण भी सभी राजनीतिक दलों ने बैठाना शुरू कर दिया है. पिछले 15 दिनों में ताबड़तोड़ फैसले लिए गए हैं. उससे हेमंत के विरोधी राजनीतिक दलों के माथे पर बल ला दिया है और यही वजह है यह सभी राजनीतिक दल अपनी नई रणनीति बैठाने में जुट गए हैं.