आरोप-प्रत्यारोप करते भाजपा और कांग्रेस के नेता रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने हेमंत सरकार द्वारा विधानसभा से पारित कराए गए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को वापस लौटा दिया है. उन्होंने सरकार से इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करने को कहा है. राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने पर राज्य की राजनीति फिर एक बार गरमा गई है.
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कांग्रेस ने राज्यपाल पर बीजेपी के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने राज्यपाल द्वारा विधेयक को वापस लौटाने पर कहा कि हेमंत सरकार ने राज्य की भोली भाली जनता को ठगने का काम किया था, आज उनकी पोल पट्टी खुल गयी. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि यह एक बड़ा मुद्दा है और राज्यपाल द्वारा उठाये गए बिंदुओं की पूरी जानकारी लेकर सोमवार को अपनी पार्टी की बात रखेंगे.
महागठबंधन सरकार की पोल-पट्टी खुली-भाजपा: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने राज्यपाल द्वारा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को लौटाने पर कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने यह जानते हुए कि विधेयक विधि सम्मत नहीं है, उसे पास कराकर राज्यपाल के पास भेजा था. शुरू से ही हेमंत सोरेन की मंशा यहां के लोगों को लाभ पहुंचाना नहीं थी, बल्कि खुद के लिए राजनीतिक लाभ लेना था. उन्होंने कहा कि विधि विभाग से विधेयक को विधि सम्मत नहीं बताए जाने के बावजूद सिर्फ क्रेडिट लेने के लिए विधेयक सदन से पास कराया गया. अब खतियानी जोहार यात्रा में ऐसा संदेश दे रहे हैं कि जैसे राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू है. आज उनकी पोल पट्टी खुल गयी है. उन्होंने कहा कि भाजपा की मांग है कि एक समावेशी और विधि के अनुसार स्थानीय नीति बनें जिसका लाभ राज्य के लोगों को मिले.
BJP के एजेंडा को सफल बनाने में लगे हैं राज्यपाल-कांग्रेस: वहीं कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि जनता की चिर प्रतिक्षित मांग के अनुसार ही हेमंत सोरेन की सरकार ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बनायी थी, लेकिन जिस दिन से यह पास हुआ था तभी से भाजपा बेचैन और छटपटाहट में थी. प्रत्यक्ष रूप से इसका विरोध नहीं कर सकने वाली भाजपा ने यह काम राज्यपाल के माध्यम से कराया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि जब भी झारखंड के लोगों के हितों की रक्षा के लिए कोई विधेयक पास कर राज्यपाल के पास भेजा जाता है, उसे वह वापस कर देते हैं. मॉब लिंचिंग कानून के मामले में भी ऐसा हुआ था, अब स्थानीयता को लेकर पास विधेयक पर ऐसा हुआ है.