रांची:बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करवाने के बाद अब झारखंड पुलिस अब ट्राइजंक्शन और कोल्हान के दुर्गम इलाकों में नक्सलियों के ठिकानों पर अपने दबिश दे रही है. हाल के दिनों में बूढ़ा पहाड़ के बाद अगर दूसरा कोई सुरक्षित स्थान भाकपा माओवादियों के लिए बचा है तो वह सारंडा और ट्राइजंक्शन वाला ही इलाका है. ऐसे में अब झारखंड पुलिस अपना रुख सारंडा की तरफ कर चुकी है (Jharkhand police started siege of trijunction).
बूढ़ा पहाड़ के बाद अब ट्राइजंक्शन की घेराबंदी शुरू, नक्सलियों के बीच खलबली - सारंडा इलाके में अभियान
बूढ़ा पहाड़ के बाद अब झारखंड पुलिस का अगला टारगेट नक्सलियों के दूसरे ठिकानों पर है. झारखंड पुलिस अब सारंडा और ट्राइजंक्शन के इलाकों में अपनी दबिश दे रही है (Jharkhand police started siege of trijunction). जिससे नक्सलियों के बीच खलबली मची हुई है.
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जगुआर-सीआरपीएफ का अभियान जारी: झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि नक्सलियों के ठिकानों पर सुरक्षाकर्मी लगातार कड़ा प्रहार कर रहे हैं. बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों की सफलता इसका उदाहरण है. अब झारखंड पुलिस का अगला टारगेट सारंडा, सरायकेला, चाईबासा और खूंटी का ट्राइजंक्शन बना हुआ है. इस इलाके में जगुआर और केंद्रीय बलों के जवानों के साथ-साथ जिला पुलिस की टीम भी लगातार अभियान चला रही है.
कैंपों का हो रहा निर्माण: आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि घोर नक्सल प्रभावित कोल्हान के कई दुर्गम इलाकों में पुलिस के द्वारा लगातार कैंपों का निर्माण किया जा रहा है. कैंपों के निर्माण के पीछे नक्सलियों को नेस्तनाबूत करने की योजना तो है ही लेकिन, ग्रामीणों का दिल जीतना भी सबसे बड़ा मकसद है.
इसी साल मिली थी बड़ी सफलता: साल 2019 से सरायकेला, चाईबासा और खूंटी के ट्राइजंक्शन का कुचाई इलाका माओवादियों की मजबूती के कारण चुनौतीपूर्ण बना हुआ था. सुरक्षाबलों ने एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल के खिलाफ टारगेट बेस्ड अभियान शुरू किया था. अभियान के दौरान उसके सहयेागी अमित मुंडा के सेक्शन कमांडर काली मुंडा और रीला माला उर्फ संथाली मारे गए थे. पुलिस अधिकारियों की मानें तो हाल के दिनों में यह पुलिस की सबसे बड़ी सफलता थी.
जारी रहेगा अभियान: झारखंड पुलिस मुख्यालय लगातार नए इलाकों में चल रहे अभियान पर नजर रखे हुए हैं. पुलिस की यह योजना है कि बिना किसी अपने के नुकसान के नक्सलियों पर भारी पड़ना है और इसी रणनीति के तहत लगातार सारंडा इलाके में अभियान चलाया जा रहा है.