रांचीः नक्सल अभियान में लगे अफसरों और जवानों के लिए मानसून हमेशा एक बड़ी चुनौती बनकर आता है. झारखंड पुलिस के लिए इस वर्ष का मानसून बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अथक प्रयास और अदम्य वीरता दिखाते हुए झारखंड पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर बूढ़ा पहाड़, ट्राई जंक्सन, पारसनाथ और बुलबुल जैसे घोर नक्सल प्रभावित इलाकों से नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाबी पाई है. मानसून के दौरान इन इलाकों में परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत हो जाती है. इस विपरीत परिस्थिति का कहीं नक्सली फायदा ना उठा ले इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. इसे लेकर खुफिया अलर्ट भी जारी किया गया है. ऐसे में विषम परिस्थितियों के बावजूद इस बार के मानसून में भी झारखंड के बीहड़ों में जवानों ने डेरा डाल दिया है. इस मानसून में भी नक्सली से लेकर सांप बिच्छू और मच्छर सुरक्षाबलों की परीक्षा लेंगे.
अब नक्सलियों को बीहड़ों से दूर रखने की चुनौतीःबूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, बुलबुल और ट्राई जंक्सन जैसे इलाके हैं जिसके बारे में कभी यह कहा जाता था कि यहां से नक्सलियों को भगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. लेकिन पिछले 2 वर्षों के दौरान झारखंड पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर ऐसा अभियान चलाया कि बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों की सल्तनत ही खत्म हो गई. कुछ ऐसा ही बुलबुल, पारसनाथ और ट्राई जंक्शन में भी किया गया. सारंडा के कुछ क्षेत्रों में नक्सली आईईडी बमों के सहारे टिके हुए हैं, वहां भी ऑपरेशन क्लीन चलाया जा रहा है. नक्सली दस्ते कोशिश करेंगे कि वे मानसून का फायदा उठा कर दोबारा बूढ़ा पहाड़ के आसपास के इलाकों में सक्रिय हो इसे लेकर खुफिया अलर्ट जारी किया गया है. हालांकि यह बेहद मुश्किल भरा काम होगा नक्सलियों के लिए, क्योंकि मानसून के दौरान बूढ़ा पहाड़ का टेरेन बेहद खतरनाक हो जाएगा. कमजोर हो चुके नक्सली इस खतरनाक टेरेन में शायद ही फंसे, चुकि अलर्ट है तो जवान भी चौकसी बरत रहे हैं. झारखंड पुलिस का दावा है कि अब ऐसी परिस्थितियां नहीं हैं कि नक्सली दोबारा बूढ़ा पहाड़ पर काबिज हो जाए.
विषम परिस्थितियों में करना होगा कामःलेकिन अगले दो महीने जंगलों में रहने वाले सुरक्षाबलों के लिए परिस्थितियां बिल्कुल उलट होंगी. पूरे मानसून के दौरान इन इलाकों में जबरदस्त बारिश होती है. इस दौरान नदी नाले उफान पर रहते हैं. बूढ़ा पहाड़, बुल बुल जैसे जगहों पर रहने वाले लोगों का संपर्क भी दूसरे हिस्सों से कट जाता है क्योंकि पानी इतनी तेज बहाव से गुजरता है कि नदी नाले तक ढक जाते हैं या फिर टूट जाते हैं. मानसून के पहले ही बूढ़ा पहाड़ के आसपास के इलाकों में पुलिस के द्वारा ही पुल पुलिया के रिपेयरिंग का काम युद्धस्तर पर किया गया है. बूढ़ा पहाड़ पर तैनात सुरक्षा बल के जवान पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति को पूरी तरह से समझने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पूरे मानसून किसी भी तरह की परेशानी ना हो और ना ही नक्सलियों के हमले की गुंजाइश बने. सुरक्षाबलों के द्वारा बनाए गए अगर पुल पुलिया बारिश में बह जाते हैं तो बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.