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पुलिस मुख्यालय की Wi-Fi के गलत इस्तेमाल होने का खतरा, डाटा सेंटर में प्राइवेट मैन पॉवर को किया जाएगा रिप्लेस - पुलिस मुख्यालय की वाईफाई के गलत इस्तेमाल होने का खतरा

झारखंड पुलिस मुख्यालय के वाईफाई का गलत इस्तेमाल हो सकता है. राज्य पुलिस का डाटा सेंटर का संचालन निजी कंपनी की ओर से की जा रही है. समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि डाटा सेंटर की स्थापना के बाद से ही कभी इस पर विभागीय नियंत्रण नहीं रहा.

पुलिस मुख्यालय की वाईफाई के गलत इस्तेमाल होने का खतरा
Jharkhand Police Headquarters threat of misuse of WiFi

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Published : Oct 30, 2020, 10:52 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस मुख्यालय के वाईफाई का गलत इस्तेमाल हो सकता है. ओपन नेटवर्क होने के कारण इसके गलत इस्तेमाल की आशंका राज्य पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों ने जतायी है.

डीजीपी ने की थी समीक्षा
डीजीपी एमवी राव की अध्यक्षता में हाल ही में मुख्यालय के डाटा सेंटर के काम की समीक्षा की गई थी. समीक्षा में यह तथ्य आया कि वाईफाई का परफार्मेंस भी काफी निम्न कोटि की है, साथ ही ओपन नेटवर्क होने के कारण अगर किसी अवांछित व्यक्ति को पासवर्ड पता चल जाए तो इसका उपयोग कर सकता है. पुलिस मुख्यालय ने इस नेटवर्क को मजबूत और सुरक्षित करने का फैसला लिया है, साथ ही इसका वितरण भी सिमित किया जाएगा. डीजीपी की अध्यक्षता में कमिटी ने तय किया है कि वरीय पुलिस अधिकारियों के कार्यालय के डेस्कटॉप, लैपटॉप और मोबाइल में ही इंटरनेट की सुविधा दी जाएगी. मुख्यालय के तय पदाधिकारियों को ही इंटरनेट की सुविधा दी जाएगी.

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डाटा सेंटर के निजी हाथों में होना भी चिंताजनक
राज्य पुलिस का डाटा सेंटर का संचालन निजी कंपनी की ओर से की जा रही है. समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि डाटा सेंटर की स्थापना के बाद से ही कभी इस पर विभागीय नियंत्रण नहीं रहा. बीच-बीच में कभी-कभी स्पेशल ब्रांच या वायरलेस एसपी के जिम्मे डाटा सेंटर का प्रभार रहा है. मुख्यालय के अधिकारियों ने यह तय किया है कि डाटा सेंटर का प्रभार संचार एवं तकनीकी सेवाएं के प्रभारी वरीय पदाधिकारी को सौंपा जाएगा. बाहरी कंपनी के सभी मैनपावर को समयबद्ध तरीके से विभागीय मैनपावर से रिप्लेस किए जाने का फैसला भी लिया गया है.

तीन माह में रोडमैप तैयार करने का फैसला
राज्य पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने डाटा सेंटर के बाह्य स्रोत के कार्यरत कर्मियों को हटाकर पुलिस के कर्मियों को यहां तैनात कर काम लेने के लिए तीन महीने में रोडमैप तैयार करने का फैसला लिया है. डाटा सेंटर में परियोजनाओं के संचालक के लिए इंटरनेट प्रदाता कंपनी को भी बदलने का फैसला लिया गया है.

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