रांची: झारखंड में आगामी चुनाव को देखते हुए कई पार्टियों ने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. इसी को लेकर शनिवार को रांची में झारखंड पार्टी का महाधिवेशन हुआ. जिसमें पार्टी के विस्तार को लेकर सभी जिलों के कार्यकर्ता राजधानी के निजी हॉल में एकजुट हुए.
झारखंड पार्टी के अध्यक्ष एनोस एक्का ने कहा कि झारखंडियों की कई ऐसी समस्याएं हैं, जिसके समाधान के लिए स्थानीय पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी गंभीर नहीं है. इसी को देखते हुए राज्य की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी झापा एक बार फिर अपने पुराने तेवर और नई सोच के साथ लोगों के बीच आ रही है. उन्होंने कहा कि आगामी 2024 के विधानसभा चुनाव में 81 विधानसभा सीटों पर झापा अपना उम्मीदवार उतारेगी.
वहीं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष व राज्य के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि जिस प्रकार से झारखंड के सभी पार्टियों यहां के आदिवासियों और मूलवासियों को ठग रही है. ऐसे में प्रदेश की पुरानी झारखंड पार्टी लोगों के लिए नए विकल्प के रूप में सामने आएगी. उन्होंने कहा कि आज 60:40 नियोजन नीति को लेकर युवाओं में आक्रोश है लेकिन यहां की सरकार युवाओं के आक्रोश को नजरअंदाज कर रही है. अगर युवाओं को सही मार्गदर्शन और उनकी मांगों पर विचार किया जाता तो आज झारखंड युवाओं को बेरोजगारी का दंश नहीं झेलना पड़ता और ना ही वो पलायन को मजबूर होते.
इस महाधिवेशन में शामिल होने आए कार्यकर्ताओं ने बताया कि राज्य के 23 वर्ष के गठन के बाद भी झारखंड के आदिवासी और मूलवासी को उनका हक नहीं मिल पाया है. इसको देखते हुए झारखंड के लोग अब झारखंड पार्टी का सहारा ले रहे हैं. झापा कार्यकर्ताओं ने कहा कि पिछले 23 वर्षों में कई पार्टियों का दामन थामा. लेकिन किसी भी पार्टी ने आदिवासियों और मूल वासियों के हक को लेकर सदन में कोई ठोस कदम नहीं उठाया. लेकिन उन्हें झारखंड पार्टी से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में झारखंड के मूलवासियों की समस्या के समाधान के लिए आगे आएंगे और लोगों को झारखंड पार्टी के माध्यम से उनका हक मिल पाएगा.
झारखंड पार्टी राज्य की सबसे पुरानी पार्टी है. जयपाल सिंह मुंडा के द्वारा आजादी कि कुछ दिनों के बाद ही इसका गठन किया गया था. झारखंड पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा लिया था. अब देखने वाली बात होगी कि झारखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की सबसे पुरानी पार्टी पूर्व मंत्री एनोस एक्का के नेतृत्व में लोगों के बीच अपनी कितनी मौजूदगी दर्ज करा पाता है और चुनावी मैदान में कितनी सीट जीत पाती है.