रांची: शीतकालीन सत्र के चौथे दिन ध्वनिमत से झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2022 पारित हो गया. लेकिन इस बिल के प्रवर समिति को भेजने और संशोधन प्रस्ताव पर गरमा गरम बहस हुई. भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि रांची में मेयर का एससी के लिए तय होते ही बदलाव कर दिया गया. जब राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर राज्यपाल की स्वीकृति हो गई थी, उस हालत में एक बार के लिए ही सही, इस पद को अनुसूचित जाति समाज के लिए छोड़ देना चाहिए था. लेकिन सरकार ने हलक से निवाला छीन लिया. इस फैसले से एससी समाज ठगा महसूस कर रहा है. एससी का फिर दमन हुआ है.
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उन्होंने कहा कि अफसोस है कि हेमंत कैबिनेट में एक भी एससी समाज का मंत्री नहीं है. अगर मंत्री होता तो समाज के हक की बात करता. भाजपा विधायक केदार हाजरा ने भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि गैर संवैधानिक तरीके से संशोधन किया गया है. यह मामला भी नियोजन नीति की तरह हाई कोर्ट में रद्द हो जाएगा. भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि 2011 से चक्रानुक्रम व्यवस्था के तहत रोटेशन पर मेयर और नगर परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद तय होता रहा है. सरकार को इसे बदलने का अधिकार ही नहीं है. उन्होंने संविधान के 74वें संशोधन का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में एक बार फिर सरकार की फजीहत होने वाली है. हालाकि बिरंची नारायण के कथन को काटते हुए विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि संवैधानिक रूप से बदलाव करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है. इसपर खूब खींचतान हुई. बिरंची ने प्रदीप के प्रमाण को चुनौती दी.
भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि रोटेशन सिस्टम को कैसे हटाया गया. इस संशोधन विधेयक को पारित कराना गैर संवैधानिक होगा. उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या को आधार बनाया गया है तो क्या सरकार ने जनगणना कराया है. क्या 10 साल पुराने जनगणना को आधार बनाना सही है. उन्होंने कहा कि सरकार नगर निकाय चुनाव को भी लटकाना चाहती है. इसी मकसद से ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं.
भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सरकार से पूछा कि अगर सरकार चक्रानुक्रम हटाना चाहती है तो रांची में मेयर के पद को एससी के लिए क्यों डिक्लेयर किया. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि रोटेशन सिर्फ वार्ड और पंचायत स्तर के लिए है. मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद जनसंख्या के आधार पर तय किए जाएंगे. उन्होंने 2011 की नियमावली की धारा 27(2) का हवाला दिया. हालाकि लंबोदर महतो ने भी कहा कि मेयर और अध्यक्ष के पद को चक्रानुक्रम में ही रखा जाना चाहिए था. अपनी बात रखने के बाद भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया.