रांची: 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर बगावत का झंडा बुलंद करने वाले झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम की हर गतिविधियों और बयान पर पार्टी नेतृत्व की नजर है और जब भी झामुमो पार्टी पदाधिकारियों का फोरम बैठेगा तब लोबिन हेम्ब्रम के बयानों, पार्टी नेतृत्व को दिए जा रहे चैलेंज और उनके मुद्दे सब पर विचार होगा.
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पार्टी के निवर्तमान केंद्रीय महासचिव और वर्तमान में केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्या ने इस ओर संकेत देते हुए कहा कि लोबिन हेम्ब्रम द्वारा पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने का नहीं है, वह अपनी बात कह रहे हैं, पर यह भी सही है कि उनके हर बयान और गतिविधियों पर नजर है और आने वाले दिनों में जब भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की बड़ी बैठक होगी तो केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन फैसला लेंगे.
सुप्रियो भट्टाचार्य का बयान लोबिन ने झामुमो नेतृत्व को दी थी खुली चुनौती: मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करने की चुनौती देते हुए 9 जून से उलगुलान करने की घोषणा की थी. इस दौरान लोबिन हेंब्रम ने हेमंत सरकार और झारखंड मुक्ति मोर्चा नेतृत्व के खिलाफ भी अपनी भड़ास निकालते हुए कहा था कि ज्यादा से ज्यादा झारखंड मुक्ति मोर्चा नेतृत्व उन्हें पार्टी से निकाल सकता है, माटी से नहीं. उन्होंने कहा था कि झारखंडी लोगों और इस माटी के लिए वह अपने खून तक देने को तैयार हैं. लोबिन हेंब्रम ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति के लिए आंदोलन की घोषणा कर झामुमो नेतृत्व को असहज कर रखा है.
हेमंत सोरेन की शराब नीति के खिलाफ भी मोर्चा खोल चुके हैं लोबिन: लोबिन हेंब्रम न सिर्फ 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को लेकर मुखर हैं, बल्कि सदन से सड़क तक शिबू सोरेन की नीतियों की आड़ में हेमंत सरकार की शराब नीति के खिलाफ भी झंडा बुलंद कर चुके हैं. उन्होंने स्टीफन मरांडी जैसे नेताओं पर भी कई आरोप लगाए हैं.